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‘जागो ग्राहक, जागो’ पुस्तक में सामान्य उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में प्रदत्त उपभोक्ता के अधिकारों के विषय में सरल एवं स्पष्ट भाषा में जानकारी दी गई है। जहाँ एक ओर लेखक ने उपभोक्ता की समस्याओं का विवरण दिया है, वहीं दूसरी ओर उसकी अधिकांश समस्याओं का सहज समाधान भी दिया है।
विभिन्न दोषयुक्त सेवाओं/वस्तुओं को उदाहरणों द्वारा दरशाया गया है और उनके समाधान संबंधी कुछ प्रमुख निर्णयों को भी पुस्तक में जगह दी गई है।
चूँकि लेखक स्वयं पश्चिम बंगाल सरकार में उपभोक्ता विषयक विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं, उन्होंने पुस्तक में उपभोक्ता के हितार्थ सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों, जागरूकता संबंधी प्रयासों एवं उपभोक्ता संबंधी विधिक पेचीदगियों का सुंदर समन्वय किया है। जागरूक उपभोक्ता ही उपभोक्ता आंदोलन का सजग प्रहरी है। पुस्तक की सहज और सरल भाषा तथा चित्रांकन सामान्य उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करनेवाला है। इसका अनुसरण करके सामान्य उपभोक्ता भी अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ सकता है।
उपभोक्ता के कल्याण में कार्यरत न्यायिक संगठनों, सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, स्वयंसेवी संगठनों, उपभोक्ताओं एवं विद्यार्थियों में ही नहीं, आम पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी पुस्तक।
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विषय-सूची
प्राक्कथन — Pgs. 5
भूमिका — Pgs. 7
1. उपभोक्ता—इतिहास के झरोखे में — Pgs. 11
2. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 : एक विहंगम दृष्टि — Pgs. 19
3. माध्यस्थम के माध्यम से शिकायत-निवारण — Pgs. 28
4. उपभोक्ता कैसे वाद दायर करें? — Pgs. 35
5. विभिन्न सेवाओं में उपभोक्ताओं के अधिकार — Pgs. 46
6. सरकारी उपक्रमों, स्वायत्त संस्थाओं में उपभोक्ता के अधिकार — Pgs. 56
7. दोष-युक्त वस्तुओं से संबंधित उपभोक्ताओं के अधिकार — Pgs. 66
8. यूरोप में उपभोक्ता आंदोलन — Pgs. 77
9. भारत में उपभोक्ता-हितों की रक्षा में नए आयाम — Pgs. 89
10. उपभोक्ताओं में जागरूकता के उपाय — Pgs. 104
11. भविष्य — Pgs. 111
12. संघर्ष — Pgs. 121
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक हैं। विभिन्न विषयों पर अब तक हिंदी एवं अंग्रेजी में इनकी लगभग चालीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें एक दर्जन उपन्यास, तीन-चार निबंध संग्रह, एक कहानी संग्रह के अतिरिक्त भूमि सुधार, पर्यावरण एवं प्रदूषण निवारण, मानवाधिकार तथा न्यायतंत्र, भारतीय प्रबंधन पद्धति, नौकरशाही, कारागार में कैदियों का जीवन, भारत में पंचायती राज, भारतीय सोच, भगवद्गीता-नाट्यरूप, चित्रकूट में राम-भरत मिलाप, बालकों के कर्तव्य आदि विषयों पर दो दर्जन पुस्तकें हैं। संप्रति पं. बंगाल सरकार में उपभोक्ता विषयक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं महायुक्त, भूमि-सुधार।