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Jaipal Singh : Ek Romanchak Ankahi Kahani   

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Author Balbir Dutt
Features
  • ISBN : 9789352660285
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Balbir Dutt
  • 9789352660285
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 368
  • Hard Cover

Description

झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता और विवादास्पद शख्सियत के धनी जयपाल सिंह के बारे में आज तक कोई सर्वांगपूर्ण प्रामाणिक व तथ्यपरक पुस्तक प्रकाशित नहीं हुई है। जयपाल सिंह ने हमेशा अपने जीवन को रहस्यमय बनाए रखा, उनके नजदीकी लोग भी उनके जीवन के कई पहलुओं के बारे में नहीं जानते थे। अब तो जयपाल सिंह का देहांत हुए 45 वर्ष से भी अधिक हो चुके हैं। उस अतीत के चश्मदीद गवाह अब लुप्तप्राय होते जा रहे हैं, लेकिन किसी भी अवस्था में जयपाल सिंह को पुरातत्त्व की वस्तु बना देना उचित नहीं। जयपाल सिंह को मिथकों के रहस्यावरण से मुक्त करने की जरूरत है।
झारखंड में 19वीं सदी में बिरसा मुंडा और 20वीं सदी में जयपाल सिंह मुंडा दो ऐसी हस्तियाँ हुईं, जो अपने जीवनकाल में ही लोकगाथा बन गईं। दोनों में कतिपय समानताएँ थीं, लेकिन उनमें असमानताएँ अधिक थीं, जिनका तुलनात्मक विवेचन रोचक और ज्ञानवर्धक है।
ऐसा कई बार देखा गया है कि कोई शख्स किसी का हीरो या नायक होता है और किसी का विलेन या खलनायक, लेकिन किसी शख्स को हीरो मानने वाले व्यक्ति बाद में उसे विलेन मानने लगें, ऐसा कम ही होता है। दुर्भाग्य से जयपाल सिंह के साथ ऐसा ही हुआ। उन्हें इस अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा।
जयपाल सिंह के जीवन के अंतिम वर्ष निराशा और हताशा में बीते। जयपाल सिंह के जीवन के उतार-चढ़ाव और सफलताओं-विफलताओं से हमारे वर्तमान राजनीतिज्ञ काफी कुछ सीख-समझ सकते हैं और सबक ले सकते हैं।

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अनुक्रम

प्रस्तावना : एक जीनियस का दिशाहीन सफर—9

खंड-1

1. बालक प्रमोद बन गया जयपाल सिंह—27

2. एक प्रतिभाशाली, साहसी व वाक्पटु छात्र—34

3. स्कूल कप्तान से ओलंपिक हॉकी कप्तान पद तक का रोमांच—38

4. यों नहीं बन सके आई.सी.एस. अफसर?—44

5. सदाकत आश्रम से सीधे गवर्नमेंट हाउस का रुख!—48

6. आदिवासी महासभा की कमान जयपाल सिंह के हाथ में—52

7. मुयमंत्री से तीखी तकरार—नतीजा सिफर—58

8. गांधीजी की राँची-यात्रा पर हड़ताल का विचित्र आह्वान—62

9. ‘सुभाष बाबू मुझे जेल जाने से डर लगता है’—66

10. डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जयपाल सिंह की लंबी रंजिश—73

11. द्वितीय विश्वयुद्ध—‘यह जिंदगी है मौज में, तू भरती हो जा फौज में’ —76

12. युद्धकाल में चीफ वॉर्डन—वाद-विवाद और वादानुवाद—80

13. कांग्रेस के ‘हिंदू राज’ के विरुद्ध मुसलिम लीग से गठजोड़—86

14. मुसलिम लीग का खुफिया पैगाम जयपाल के नाम —91

15. ‘आदिवासी पाकिस्तान’ के लिए भड़काने की लीगी साजिश नाकाम —96

16. ‘डाइरेट एशन डे’ के कत्लेआम से जयपाल सिंह का मुसलिम लीग से मोहभंग —102

17. मुसलिम लीग द्वारा दी गई आर्थिक सहायता का न हिसाब न किताब —106

18. संविधान सभा में अपनी प्रतिभा व वतृत्व कला का प्रदर्शन—110

19. आदिवासी महासभा का झारखंड पार्टी में रूप-बदलाव—114

20. जयपाल ने जेपी का प्रस्ताव ठुकराया, बेहतरीन मौका गँवाया—118

21. जय, जय, जय दरभंगा महाराज!—122

22. राँची में जयपाल सिंह के विरुद्ध विशाल ‘भंडाफोड़ रैली’ —127

23. आयोग की टीम राँची में : कहाँ अंतर्धान हो गए थे जयपाल सिंह?—132

24. झारखंड के बजाय ‘पूर्व प्रदेश’ की वकालत—138

25. विलयन की लंबी छटपटाहट और खरीद-फरोत की आशंका —141

26. ‘मिस्टर जयपाल सिंह लोग हमको पीटेंगे’—146

27. कांग्रेस-झारखंड विलयन—शर्तों के दस्तावेज—150

28. कांग्रेस-झारखंड विलयन—चित भी कांग्रेस की, पट भी कांग्रेस की! —154

29. कांग्रेस-झारखंड विलयन—या थे असली कारण?—159

30. जयपाल सिंह हाजिर हों... 163

31. चुनाव में हारते-हारते बचे जयपाल सिंह—166

32. भूमि अधिग्रहण व विस्थापन—कहाँ थी झारखंड पार्टी?—170

33. भूदान-ग्रामदान : जयपाल-कार्तिक आमने-सामने—174

34. आई.एम. कांग्रेसमैन सेंट-परसेंट—178

35. आखिर दे दिया इस्तीफा कांग्रेस से—या इस्तीफा, किसके लिए इस्तीफा? —180

36. गांधी जन्मशती : विनोबाजी की मौजूदगी में हिंसा की वकालत —186

37. अगले साल (1970) बन जाएगा झारखंड अलग प्रांत!—190

38. अंतिम भाषण में कांग्रेस पर उतारा गुबार—193

39. जयपाल सिंह का निधन : एक अहम राजनीतिक अध्याय का पटाक्षेप—198

40. जयपाल सिंह के निधन पर श्रद्धांजलियाँ—203

41. सब कुछ गँवा के होश में आए तो या हुआ!—207

खंड-2

42. पादरी बनने से किया इनकार—223

43. ‘झारखंड का सबसे बड़ा दिकू तो मैं हूँ!’—228

44. होटल सम्राट् ओबराय से दोस्ती के श्रीगणेश का दिलचस्प किस्सा—233

45. आदिवासी महासभा—झारखंड पार्टी के आजीवन अध्यक्ष!—237

46. ‘नेहरू ने धोखा दिया’—कितना सच, कितना झूठ?—242

47. पहली पत्नी तारा, दूसरी जहाँआरा—पॉलिटिस न और हाँ—247

48. जहाँआरा की ‘आदिवासियत’ पर सुप्रीम कोर्ट में बहस—254

49. जयपाल निवास बनाम बिशप बँगला विवाद सड़कों पर—261

खंड-3

50. जयपाल सिंह का जीवन-क्रम—271

51. जयपाल सिंह के समकालीन (सहयोगी, विरोधी एवं अन्य)—273

52. जयपाल सिंह के जीवन के कतिपय रोचक प्रसंग—287

53. ...ताकि सनद रहे—295

खंड-4

54. Another Birsa Bhagwan, but from Oxford!—305

एक और बिरसा भगवान् लेकिन ऑसफोर्ड से!

55. चलकद से सदाकद आश्रम—309

56. Adivasisthan—Hindusthan—Pakisthan—313

आदिवासिस्थान—हिंदुस्थान-पाकिस्थान

57. Prohibition and Adivasi Communities —318

शराबबंदी और आदिवासी समुदाय

58. जयपाल सिंह को चुनौती : कार्यकर्ताओं के नाम हरमन लकड़ा का खुला पत्र—324

59. Jaipal will lead us to blind alley—333

जयपाल हमें अंधी गली की ओर ले जाएँगे

60. Betrayal of Jharkhand Movement —337

झारखंड आंदोलन के साथ विश्वासघात

61. Himalayan Political Blunders of Jaipal Singh—356

जयपाल सिंह की हिमालयी राजनीतिक महागलतियाँ

62. जयंत जयपाल सिंह का चुनाव घोषणा-पत्र—361

संदर्भ सूत्र—364

आभार ज्ञापन—366

The Author

Balbir Dutt

लेखक-पत्रकार बलबीर दत्त का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी नगर में हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा रावलपिंडी, देहरादून, अंबाला छावनी और राँची में हुई। 1963 में राँची एक्सप्रेस के संस्थापक संपादक बने। साप्ताहिक पत्र जय मातृभूमि के प्रबंध संपादक, अंग्रेजी साप्ताहिक न्यू रिपब्लिक के स्तंभकार, दैनिक मदरलैंड के छोटानागपुर संवाददाता, आर्थिक दैनिक फाइनैंशियल एक्सप्रेस के बिहार न्यूजलेटर के स्तंभ-लेखक रहे। करीब 9000 संपादकीय लेखों, निबंधों और टिप्पणियों का प्रकाशन हो चुका है।
ये साउथ एशिया फ्री मीडिया एसोसिएशन, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया व नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के सदस्य हैं। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। राँची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंपर्क विभाग में 26 वर्षों तक स्थायी सलाहकार व अतिथि व्याख्याता रहे।
बहुचर्चित पुस्तकें ‘कहानी झारखंड आंदोलन की’, ‘सफरनामा पाकिस्तान’ और ‘जयपाल सिंह: एक रोमांचक अनकही कहानी’। कई अन्य पुस्तकें प्रकाशनाधीन। पत्रकारिता के सिलसिले में अनेक देशों की यात्राएँ।
‘पद्मश्री सम्मान’, ‘राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार’, ‘पत्रकारिता शिखर सम्मान’, ‘लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड’ (झारखंड सरकार), ‘झारखंड गौरव सम्मान’, ‘महानायक  शारदा सम्मान’ आदि कई पुरस्कार प्राप्त।
संप्रति दैनिक देशप्राण के संस्थापक संपादक।

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