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शाम का समय था। वह खिड़की के परदों से अपना सिर सटाकर बैठी बाहर की ओर देख रही थी। लोग चले जा रहे थे। आखिरी छोरवाले मकान में रहनेवाला आदमी भी अपने घर की ओर जा रहा था, जिसके कदमों की आवाज उसे साफ सुनाई दे रही थी। यहाँ कभी एक मैदान हुआ करता था, जिसमें रोज शाम को वे दूसरे बच्चों के साथ खेला करते थे। बाद में बेलफास्ट के एक आदमी ने उसे खरीद लिया और उसपर पक्के मकान बनवा दिए।
वही घर, जिसकी एक-एक चीज उसने खुद सलीके से सजाकर रखी थी और अभी एक सप्ताह पहले ही सब चीजें झाड़-पोंछकर रखी थीं। कमरे में खड़ी-खड़ी वह एक-एक चीज को निहार रही थी, जिसे शायद अब वह दुबारा कभी नहीं देख पाएगी। पुराने टूटे पड़े हारमोनियम के ऊपर दीवार पर एक तसवीर थी, लेकिन उसका नाम अब तक वह नहीं जान पाई थी। इतना जानती थी कि वे उसके पिता के स्कूल के दोस्त थे।
—इसी पुस्तक से
प्रसिद्ध कथाकार जेम्स ज्वॉइस अपनी किस्सागाई के लिए ख्यात हैं। उनकी कहानियों में मानव मन एवं भावनाओं का गहराई से विश्लेषण देखने को मिलता है। उनकी लोकप्रिय कहानियों का पठनीय संकलन