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बचपन में वाट की परिपक्व बुद्धि के बारे में बताती हुई कई कहानियाँ भी मौजूद हैं; ऐसी कहानियाँ, जो हर जीनियस की जिंदगी में होती हैं। इन कहानियों का स्रोत हैं वाट की कजिन मिसेज मरियन कैंपबेल। जेम्स जब महज छह साल के थे तो खडि़या से अँगीठी की दीवार पर कुछ लिख रहे थे। उस दौरान उनके यहाँ आए एक सज्जन ने उनके पिता से कहा, ‘‘मिस्टर वाट, आपको अपने इस बच्चे को पब्लिक स्कूल में भेजना चाहिए। उसे स्कूल से अलग इस तरह घर में बेकार घूमते रहने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।’’ उनके पिता ने कहा, ‘‘श्रीमान, मेरे बेटे की खिंचाई करने से पहले यह तो देख लीजिए कि यह क्या कर रहा है!’’ दरअसल बच्चा अँगीठी की दीवार पर कुछ भी यों नहीं लिख रहा था। वह उसमें ज्यामीतिय आकार बना रहा था और अपनी गणना के नतीजों को लिख रहा था। आगंतुक को उसका जवाब मिल चुका था। उसने कहा, ‘‘माफ कर दीजिए। मैंने गलत समझा था। इस बच्चे की शिक्षा नजरअंदाज नहीं की जा रही है। लेकिन यह असाधारण बच्चा है।’’
—इसी पुस्तक से
जेम्स वाट एक आविष्कारक, मेकैनिकल इंजीनियर और वैज्ञानिक थे, जिन्होंने 1776 में वाट स्टीम इंजन बनाकर पूरे विश्व में औद्योगिक क्रांति को एक नई ऊँचाई दी, यह पुस्तक उनकी असाधारण मेधा और बुद्धि तथा उनके अपूर्व योगदान की बड़ी रोचक और पठनीय जानकारियाँ देती हैं।
गोपी कृष्ण कुँवर
जन्म : 30 दिसंबर, 1970।
शिक्षा : एम.ए., बी.जे.।
वर्ष 2000 से साक्षरता अभियान से जुड़े हैं, सामाजिक कार्यों में रुचि, विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं।
उत्कृष्ट कार्य के लिए चार बार ‘अक्षर श्री’ सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष 2007 में उत्तर साक्षरता कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल द्वारा ‘सत्येन मैत्रा स्मृति साक्षरता पुरस्कार’ प्रदान किया गया।
‘प्रभात खबर’ समाचार-पत्र के ब्यूरो प्रमुख, लोहरदगा आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं पी.टी.आई. के संवाददाता।