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"शिवराज सिंह चौहान
5 अप्रैल, 1959 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म श्री शिवराज सिंह चौहान अपनी सादगी, सहजता और कर्मठता के लिए राजनीति में अलग पहचान रखते हैं। उन्हें विरासत में राजनीति नहीं मिली। दर्शनशास्त्र में स्वर्ण पदक के साथ स्नातकोत्तर की शिक्षा पानेवाले शिवराज को आपातकाल का विरोध करने के कारण स्कूली जीवन में ही जेलयात्रा करनी पड़ी। अपने आरंभिक राजनीतिक काल में ही वे एक कुशल वक्ता के रूप में स्थापित हो गए थे।उनकी यह विशेषता उनके भाषणों में देखी जा सकती है।
विद्यार्थी काल से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहनेवाले शिवराज ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपनी यात्रा आरंभ करते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा में प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व प्रदान किया। 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए और अगले ही वर्ष विदिशा लोकसभा से उपचुनाव लड़कर सांसद चुने गए। उसके बाद 1996, 1998, 1999 व 2004 में लगातार सांसद निर्वाचित हुए। 2005 में पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी। वे मध्यप्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहनेवाले राजनीतिज्ञ हैं।
शुरुआती राजनीतिक जीवन में पैदल यात्रा करने के कारण वे पाँव-पाँववाले भैया' कहलाए तो मुख्यमंत्री के रूप में जन कल्याणकारी कार्यक्रमों के चलते प्रदेश की जनता ने उन्हें अपना “मामा' मान लिया सांसद रहते हुए 2003 के विधानसभा चुनाव को छोड़कर कभी भी चुनावी पराजय का सामना नहीं करना पड़ा।
मध्य प्रदेश विधानसभा में दिए गए अपने भाषणों में उन्होंने सदन की गरिमा और मर्यादा को हमेशा बनाए रखा। विरोधियों पर कटाक्ष और तर्कपूर्ण हमलों के साथ ही उनके प्रति आदरभाव में कभी कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने प्रदेश के विविध पहलूओं के अलावा समसामयिक विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें विकास की उनकी दृष्टि व अवधारणा समाहित रहती है तो सामाजिक मुद्दों पर उनका दृष्टिकोण व सोच उजागर होती है।"
जन्म : 5 मार्च, 1959 को जैत गाँव, जिला सीहोर (म.प्र.)। शिक्षा : एम.ए., दर्शन शास्त्र (स्वर्ण पदक)। 1972 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संपर्क, 1975 में छात्र संघ अध्यक्ष, आपातकाल के विरोध में भूमिगत आंदोलन एवं जेलयात्रा, भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री, महामंत्री, प्रदेश अध्यक्ष रहने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा संसदीय बोर्ड के सचिव रहे। 1990 में बुधनी से विधायक, फिर 1991 में विदिशा से लोकसभा सांसद रहे। 30 नवंबर, 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। तदनंतर प्रदेश के सर्वांगीण विकास हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाओं का शुभारंभ, जिससे समाज के सभी वर्गों का सामाजिक-आर्थिक उत्थान और प्रगति हुई। प्रदेश के चहुँमुखी विकास के स्वरूप को साकार करने की अद्भुत जिजीविषा और तदनुसार नीति-निर्धारण व क्रियान्वयन।