चंद्रमा पर पहुँचने के बाद मनुष्य ने मंगल ग्रह पर पहुँचने की तैयारी शुरू कर दी है। मंगल के प्रति वैज्ञानिकों के आकर्षण का कारण है उसकी लाल रंग की सतह और पृथ्वी से मिलता-जुलता उसका स्वरूप। इस ग्रह पर भी मौसम बदलते हैं। यहाँ वसंत, ग्रीष्म और शरद् ऋतुएँ होती हैं। इसकी एक अन्य विशेषता इसके दो चंद्रमा हैं—‘फोबोस’ और ‘डिमोस’।
मंगल ग्रह की खोज से अंतरिक्ष में पृथ्वी के अतिरिक्त जीवन के अस्तित्व की गुत्थी सुलझने की आशा की जा रही है। मंगल ग्रह के अंतरिक्ष अभियानों के अध्ययन से यह विदित होता है कि वहाँ जीवों के मिलने की पूरी संभावना है या वहाँ पहले कभी जीवों का अस्तित्व था।
प्रस्तुत पुस्तक मंगल जैसे रोचक ग्रह की रोमांचक जानकारियाँ पाठकों तक पहुँचाती है। इसकी एक अन्य विशेषता है इसमें दिए गए सैकड़ों दुर्लभ एवं जानकारीपरक चित्र। विश्वास है, यह पुस्तक सामान्य पाठकों, विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों हेतु उपयोगी सिद्ध होगी और मंगल ग्रह के बारे में अनेक जानकारियाँ प्रदान करेगी।
जोधपुर में जनमे विज्ञान की उच्चतम शिक्षा प्राप्त, देश-विदेश की दस लब्ध-प्रतिष्ठ विज्ञान-संस्थाओं के चयनित फेलो, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, लंदन से चार्टर्ड केमिस्ट की सम्मानोपाधि प्राप्त देश के वरिष्ठ विज्ञान संचारक। विगत 38 वर्षों से हिंदी में विज्ञान-लेखन और विज्ञान लोकप्रियकरण में रत डॉ. दुर्गादत्त ओझा की पुरातन एवं अद्यतन विज्ञान विषयों पर हिंदी में 50 से अधिक कृतियाँ, सहस्राधिक विज्ञान आलेख एवं शताधिक शोध-पत्र प्रकाशित हैं।
भूजल विभाग जोधपुर के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओझा को अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानोपाधियों से अलंकृत किया गया है, जिनमें प्रमुख हैं—राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान पुरस्कार, राष्ट्रीय विज्ञान-संचार पुरस्कार, राष्ट्रीय ग्रामीण साहित्य पुरस्कार, महामहिम राष्ट्रपति से डॉ. आत्माराम पुरस्कार, मेदिनी पुरस्कार आदि। डॉ. ओझा देश-विदेश की अनेक विज्ञान-संस्थाओं से जुड़े हुए हैं तथा विज्ञान विषयक कई पत्रिकाओं एवं शोध-जर्नलों के संपादक मंडल के सदस्य हैं।