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'जन्म की एक भूल’ रामदेव धुरंधर का द्वितीय कहानी संग्रह है। ज्यादातर वे नाटक, लघुकथा और उपन्यास में अपनी लेखकीय निष्ठा का अर्घ्य समर्पित करते रहे। पर कहानी लेखन की उनकी बेचैनी यथावत् बनी रही। उसी बेचैनी का परिणाम 'जन्म की एक भूल’ कहानी-संग्रह के रूप में पाठकों के समक्ष है।
प्रस्तुत संग्रह में कुल सत्रह कहानियाँ संकलित हैं। हर कहानी का अस्तित्व एक दूसरी से पृथक् है। कहानियाँ लेखक के अपने मॉरीशस के जनजीवन को रेखांकित करती हैं, साथ ही अपने देश की सीमा तोड़ने में सक्षम हैं। इस दृष्टि से इनमें हम विश्वमानव को समाहित पाएँगे।
भाषा, शैली और अभिव्यक्ति में सिद्धहस्तता रखनेवाले रामदेव धुरंधर की इन कहानियों का भारत में स्वागत करने से यह परिभाषा स्वत: निर्धारित हो जाएगी कि भारत की हिंदी के वटवृक्ष की एक टहनी, जो मॉरीशस की जमीन पर झंडे के समान फहर रही है, हम उसी का अभिनंदन कर रहे हैं।
मॉरीशस के हिंदी लेखकों में एक यशस्वी व चर्चित नाम। साहित्यिक संस्थाओं में हिंदी लेखन के लिए प्रशिक्षण देने में वर्षों से सक्रियता। स्थानीय रेडियो में तीन सौ से अधिक स्व लिखित एकांकी की प्रस्तुति। दूरदर्शन पर धारावाहिकों का प्रसारण। ‘वसंत’, ‘रिमझिम’ और ‘निर्माण’ पत्रिकाओं का संपादन। अनेक रचनाओं का फ्रेंच में अनुवाद। मॉरिशस में दसेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महात्मा गांधी संस्थान में सत्ताईस वर्षों तक प्रकाशन विभाग से जुड़े रहे। विश्व हिंदी सम्मेलनों में सहभागिता एवं सम्मानित।
प्रकाशन : ‘छोटी मछली बड़ी मछली’, ‘चेहरों का आदमी’, ‘बनते बिगड़ते रिश्ते’, ‘पूछो इस माटी से’, ‘पथरीला सोना’ तीन खंड (उपन्यास), ‘विष-मंथन’ (कहानी संग्रह), ‘चेहरे मेरे तुम्हारे’, ‘यात्रा साथ-साथ’, ‘एक धरती एक आकाश’, ‘आते-जाते लोग’ (लघु कथा संग्रह), ‘कलजुगी करम-धरम’, ‘बंदे, आगे भी देख’, ‘चेहरों के झमेले’, ‘पापी स्वर्ग’ (व्यंग्य संग्रह), ‘इतिहास का दर्द ’ (फ्रेंच में अनूदित नाटक) तथा पत्रिकाओं में पचास से अधिक कहानियाँ और दर्जनों लेख प्रकाशित। मॉरीशस की पत्रिकाओं में सौ के लगभग कहानियाँ, अनेकों लेख, निबंध, नाटक और व्यंग्य रचनाएँ प्रकाशित।