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सहृदय-दूरदर्शी राजनेता, संवेदनशील कवि। मित्रों और विरोधियों द्वारा समान रूप से चाहे जानेवाले अटल बिहारी वाजपेयी सच में एक जननायक हैं।
राजनीतिक सफर का प्रारंभ भारतीय जनसंघ के सबसे पहले सदस्यों में से एक के रूप में किया। फिर 1960 के दशक के आखिर में वाजपेयी एक प्रमुख विपक्षी दल के सांसद के रूप में निखरकर सामने आए। थोड़े समय के लिए सत्ता में आई जनता सरकार में विदेश मंत्री बने और 1999 में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया, जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया। यह उपलब्धि और विशिष्ट बन जाती है, क्योंकि एक गठबंधन सरकार ने ऐसा कर दिखाया था।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे जनसंघ के दिग्गजों के शिष्य रहे वाजपेयी जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा के पात्र बने; जिनसे उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने सलाह-मशवरा किया; जिनकी आलोचना करने में वह कभी पीछे नहीं रहे; और उग्र मजदूर संघ के नेता जॉर्ज फर्नांडिस से दोस्ती की, जो आगे चलकर उनके सहयोगी भी बने। इस प्रकार उन्होंने सभी प्रकार के राजनीतिक विचारों को साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता प्रदर्शित की। उन्हीं के नेतृत्व में राजग सरकार ने छह साल में भारत के नवनिर्माण की नींव रखने का काम किया।
वरिष्ठ पत्रकार किंगशुक नाग इस पुस्तक में भारतीय राजनीतिक क्षितिज के जाज्वल्यमान नक्षत्र जननायक अटलजी के संपूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित कर रहे हैं। उनके जीवन को संपूर्णता में जानने हेतु एक प्रामाणिक पुस्तक।
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अनुक्रम
प्रस्तावना—5
पुस्तक परिचय—7
1. प्रारंभिक वर्ष —27
2. राजनीति में प्रवेश—38
3. जनसंघ का नेतृत्व—53
4. प्यार, जीवन और कविता—69
5. शसियत और उनकी शैली—86
6. जनता राज और बी.जे.पी. 100
7. अयोध्या के प्रत्यक्षदर्शी—113
8. अयोध्या के बाद से प्रधानमंत्री तक—124
9. शांति का प्रयास—135
10. मातृ संस्था से निपटना—151
11. अर्थव्यवस्था में तेजी—165
12. सा से बाहर—175
13. एक उत्कृष्ट राजनेता—186
किंगशुक नाग पिछले बाईस वर्षों से द टाइम्स ऑफ इंडिया से जुड़े हैं और इस अखबार के लिए विभिन्न पदों पर नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु तथा अहमदाबाद में काम किया है। इस समय हैदराबाद में स्थानीय संपादक की भूमिका निभा रहे हैं। गुजरात की राजनीतिक घटनाओं से जुड़ी खबरें देने और उनके शानदार विश्लेषण के लिए उन्हें प्रतिष्ठित ‘प्रेम भाटिया मेमोरियल अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के पूर्व छात्र रहे नाग ने कुछ वर्षों तक आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया और फिर पत्रकार की भूमिका में आ गए। इससे पहले उनकी ओर से लिखी गई पुस्तकों में प्रमुख हैं— ‘द डबल लाइफ ऑफ रामलिंग राजू : द स्टोरी ऑफ इंडियाज लार्जेस्ट कॉरपोरेट स्कैम’, ‘बैटलग्राउंड तेलंगाना : द क्रॉनिकल ऑफ एन एजिटेशन’, ‘द नमो स्टोरी : ए पॉलिटिकल लाइफ’ और ‘द सैफ्रन टाइड : द राइज ऑफ द बीजेपी’।