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"सनातन दृष्टि-संपन्न भारत के जानेमाने लेखकों में से एक, हमारे जीवन में सकारात्मकता की तलाश के बारे में लिख रहे हैं।
क्या आपने सारी उम्मीद खो दी है?
क्या यह संसार अंधकारमय लग रहा है? कोविड-19 की महामारी के बीच बहुत से लोगों ने अपनों को विदा लेते देखा है। उन्होंने अपने परिवार, दोस्त और सहकर्मी खोए हैं। आप अपनी इस हानि से कैसे उबर सकते हैं? आप हर ओर हिंसा और गुस्से से घिरे हैं। बुरी खबरें घेरे हुए हैं—अर्थव्यवस्था में गिरावट, जलवायु में बदलाव—हर दिन। क्या आप इनसे भाग जाना चाहते हैं? क्या आप पैसे को लेकर चिंतित हैं? क्या आपको अपने परिवार या अपने भविष्य की चिंता है?
इस पुस्तक में लेखक आपके भावों को प्रकट करने में मदद करते हैं और अंधकार से प्रकाश में आने का उपाय खोजते हैं। वे हमारे महाकाव्यों की कथाओं और हिंदू, बौद्ध व जैन विचारों के आधार पर आपको जीवन को देखने का एक नया दृष्टिकोण देते हैं और आपको ऐसे साधन देते हैं कि आप फिर से आशा का दामन थाम सकें। सरल, परंतु गहन, द्रवित और उत्तेजित कर देनेवाली यह पुस्तक ‘जीने की आशा’ आपके लिए दुनिया को देखने का नजरिया बदल देगी और आपको फिर से अपना मार्ग खोजने में सहायक होगी।"