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जीत एक सुखद और आनंददायक एहसास है। जीवन की सार्थकता जीतने में ही है। सृष्टि का वैज्ञानिक स्वरूप जीत के फॉर्मूले पर आधारित है। इसलिए जीत एक सहज, सत्य और स्वाभाविक प्रक्रिया है।
जीत के लिए न तो किसी आपाधापी की आवश्यकता है और न ही किसी झूठ के सहारे की। हमारा जन्म ही जीत की शुरुआत है।
हमारा जन्म जीतने के लिए ही हुआ है। कोई भी आदमी कभी हारता नहीं है, बस जीत का प्रतिशत कम या ज्यादा होता है।
जीत का लक्ष्य सच्चे आनंद को पाना है। हमारे द्वारा तय किया गया जीवन-लक्ष्य हमें सच्चे आनंद की ओर ले जाता है। इसलिए किसी मृग-मरीचिका में फँसे बगैर हमें सहज-सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। हमारा चल पड़ना ही जीत का उद्घोष है। कुछ करें या न करें, पर अपने लक्ष्य से यदि हम प्रेम कर लें तो जीत जाएँगे। जीवन की इस छोटी अवधि में हम सिर्फ प्रेम करें तो भी कम ही है, फिर घृणा के लिए समय कहाँ है? हम अपने कृत्यों के फल से कभी वंचित नहीं रह सकते। हमारे हर कर्म का फल निश्चित है।
जीत यानी जीवन की सफलता के गुरुमंत्र बताती अत्यंत प्रेरणाप्रद पठनीय कृति।
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अनुक्रमणिका
जीत की मनन-प्रार्थना — 7
विचार — 13
पत्र-पत्रिकाओं में — 15
1. मजबूत इच्छाशक्ति — 19
2. गुलाब की अभिव्यक्ति — 22
3. रुचि का क्षेत्र — 28
4. मानर — 31
5. बचपन की आपाधापी — 35
6. सुर-सरिता — 41
7. विराट् शूट — 46
8. एक निशांतकेतु — 50
9. रचनात्मकता एक प्रवाह — 54
10. अवलोकन की दृष्टि — 59
11. बाँसुरी — 62
12. चल पड़ा बॉबी! — 70
13. मोह-तरंग — 77
14. कर्म स्वयं में आनंद का कारक है — 80
15. खुद से वादा — 83
16. सगुन के सपने — 88
17. आंतरिक साधन — 93
18. समय पर पहुँचने का करिश्मा — 102
19. आत्मपरीक्षण जरूरी — 106
20. नौवाणी संप्रेषण के सिद्धांत — 110
21. गुलाबी रसगुल्ला — 113
22. टीम की हर इकाई की तुष्टि जरूरी — 117
23. मनोवृत्तीय निर्माण के नौ कारक — 121
24. मनुष्य की आत्मिक शक्तियाँ — 125
25. पूर्ण ज्ञानी — 133
26. जिंदगी हसीन है — 140
27. मैं का ज्ञान — 146
28. गुरु और मित्र की तलाश — 151
29. सत्य के प्रयोग — 157
1988 में ‘नवभारत’ नागपुर से पत्रकारिता की शुरुआत। इसके बाद ‘दैनिक राष्ट्रदूत’ में उपसंपादक तथा ‘पाटलिपुत्र टाइम्स’ में फीचर संपादक, ‘स्टार वन’ पर ‘मानो या ना मानो’ का स्क्रिप्ट लेखन; दूरदर्शन से संबद्धता के साथ मौर्य टीवी के डिप्टी एडिटर रहे।
रिलायंस एनर्जी मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (मुंबई), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन (नई दिल्ली), बी.एच.यू. (वाराणसी), राँची विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, डॉ. जाकिर हुसैन संस्थान (पटना) में अध्यापन। डीन के रूप में नॉट्रेडेम कम्यूनिकेशन सेंटर (पटना) में कार्य किया।
प्रकाशन : ‘जीत का जादू’; ‘इलेक्ट्रॉनिक @ मीडिया.कॉम’, ‘समाचार : एक दृष्टि’, ‘संपादन विज्ञान (पत्रकारिता), ‘लेफ्टिनेंट हडसन’, ‘सिम्मड़ सफेद’ (कहानी संग्रह), ‘सफल हिंदी निबंध’ (निबंध संग्रह) समेत 16 पुस्तकें प्रकाशित। 250 से भी अधिक नई परिभाषाएँ विकसित कीं। ‘सी.आर.डी.’ के अध्यक्ष रहे।
सम्मान-पुरस्कार : साहित्य के लिए ‘भारतेंदु हरिशचंद्र पुरस्कार’।
ratneshwar1967@yahoo.co.in