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यूपी -100 एक ऐसा संगठन है, जो अपराधियों को तो पकड़ता ही है, इसके साथ ही यह संगठन उन नागरिकों की सेवा में भी तत्काल हाजिर हो जाता है, जो अपने दुःखों और परेशानियों से घबराकर झगड़ों, विवादों और दुर्घटनाओं को आमंत्रित करते हैं। यूपी-100 की पुलिस नागरिकों के झगड़ों, विवादों और दुर्घटनाओं पर नियंत्रण करती है और उन्हें जिंदगी के साथ ही आगे बढ़ने की एक नवीन किरण प्रदान करती है।
यूपी-100 उत्तर प्रदेश राज्य का एक बड़ा संगठन है, जो पूरे प्रदेश के साथ ही देश व विदेश के नागरिकों की रक्षा के लिए दृढ-प्रतिज्ञ है। आज यह संगठन जिस तेजी और चतुराई से आम जन की समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न कर रहा है, वह निस्संदेह प्रशंसनीय है। पर यह सब इतना सरल भी नहीं था।
यूपी-100 ने बहुत ही कम समय में गंभीर-से-गंभीर और छोटे-से-छोटे अपराध को सुलझाने में बेहद समझदारी और परिपक्वता का परिचय दिया है। ये सारी उपलब्धियाँ व समाचार महज समाचार-पत्र के एक कोने में आकर सिमट गई थीं। ज्यादातर लोगों को तो अभी तक यह भी जानकारी नहीं है कि पुलिस उनके जीवन में कितनी बड़ी भूमिका निभा रही है। अब यूपी-100 के कार्य कहानियों के रूप में आपके समक्ष हैं। मैंने घटनाओं के साथ कितना न्याय किया है, यह तो आप सभी की बहुमूल्य प्रतिक्रियाएँ ही बता पाएँगी।
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अनुक्रम
प्राक्कथन—5
लेखकीय—9
1. डकैतों को दबोचा—17
2. ए.टी.एम. से चोरी की कोशिश—20
3. मनचलों को सिखाया सबक—23
4. मोगली गर्ल—26
5. समाधि लेने से रोका—29
6. रेल दुर्घटना—32
7. अवैध शराब—35
8. पत्रकार की जान बचाई—38
9. जापानी पर्यटक—41
10. अपहरण की कोशिश—45
11. रुपयों की चोरी—48
12. दहेज की आग—51
13. अनमेल विवाह—55
14. बूढ़ी माँ की बेबसी—58
15. नदी में गिरी गाड़ी—62
16. प्रतिबंधित पशु को काटा—65
17. हाईटेक पी.आर.वी. 68
18. कफन के रुपए—71
19. हॉरर किलिंग को रोका—75
20. दिव्यांग महिला के साथ छेड़छाड़—79
21. पुलिस का भय—82
22. डिप्रेशन की बीमारी—86
23. मोटरसाइकिल की चोरी—89
24. मजदूर की मेहनत—92
25. ऑपरेशन कृष्णा इंडिया—96
26. डूबती महिला की जान बचाई—100
27. विवाह का निर्णय—103
28. लापता किशोरी को ढूँढ़ा—107
29. आग से बचाया—111
30. जुए का खेल—114
31. लैपटॉप की बरामदगी—117
32. अजगर का डर—120
33. लाठी से फूटा सिर—123
34. बच्ची को घर पहुँचाया—127
35. आत्महत्या करने से बचाया—131
36. साक्षात्कार की तैयारी—134
37. रेत में फँसी गाड़ी—137
38. संवाद अधिकारी —140
39. अवसाद की पीड़ा—144
40. ट्रैफिक जाम में झगड़ा—148
41. भाषा की समस्या—151
42. आधुनिक मोबाइल एप्प—154
43. पी.आर.वी. ने लाइट का किया काम—157
44. खदान में डूबने से बचाया—160
45. भोला को ढूँढ़ निकाला—163
46. पाठशाला का ताला—167
47. मधुमक्खियों से बचाव—170
48. आत्महत्या से रोका—173
49. अच्छे अंक का दबाव—177
50. पूर्णिमा की उम्मीदें—181
51. हार्ट अटैक से उबारा—185
52. कलयुगी बेटा —188
रेनू सैनी
जन्म : 1 अप्रैल।
शिक्षा : एम.फिल. (हिंदी)।
प्रकाशन : ‘दिशा देती कथाएँ’, ‘बचपन का सफर’, ‘बचपन मुसकाया जब इन्हें सुनाया’, ‘महात्मा गांधी की प्रेरक गाथाएँ’, ‘कलाम को सलाम’, ‘संत कथाएँ मार्ग दिखाएँ’, ‘सक्सेस गीता : सफल जीवन के 125 मंत्र’, ‘डायमंड लाइफ’, ‘जीवन धारा’, ‘मोदी सक्सेस गाथा’, ‘दीनदयाल उपाध्याय की प्रेरककहानियाँ’, ‘मिशन Impossible’, ‘दिल्ली चलो’, ‘लौहपुरुष सरदार पटेल के प्रेरकप्रसंग’ एवं ‘शास्त्रीजी के प्रेरकप्रसंग ’।
सम्मान : दिल्ली सरकार की हिंदी अकादमी द्वारा चार बार नवोदित लेखन एवं आठ बार आशुलेखन में पुरस्कृत; ‘बचपन का सफर’ पुस्तक को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य वर्ग के अंतर्गत ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पाँचवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘वितान’ के अंतर्गत कहानी ‘अद्भुत प्रतिभा’ एवं पाठ्यपुस्तक ‘बातों की फुलवारी’ के अंतर्गत ‘आखरदीप’ कहानी का प्रकाशन। राष्ट्रीय स्तर की अनेक पत्र-पत्रिकाओं एवं आकाशवाणी से रचनाओं का प्रकाशन व प्रसारण। अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन।
संप्रति : सरकारी सेवा में कार्यरत।
संपर्क : saini.renu830@gmail.com