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मालविका अय्यर ने तेरह वर्ष की उम्र में आयुध फैक्टरी में हुए भीषण विस्फोट में अपने दोनों हाथ खो दिए। दोनों पैरों में भी गंभीर चोटें आईं। इसके बाद 18 महीने अस्पताल में रही और चरणबद्ध ऑपरेशनों का दर्द झेला। इतने बड़े हादसे के बाद तो कोई भी हिल जाए, लेकिन मालविका ने हिम्मत नहीं हारी। मात्र चार महीने की पढ़ाई से मालविका दसवीं में 97 प्रतिशत अंक लाने में सफल रही। गणित और विज्ञान में सौ में से सौ और हिंदी में 97 अंक लाकर पूरे तमिलनाडु राज्य में टॉप किया। यही नहीं, बारहवीं कक्षा में 95 प्रतिशत अंक लाने में सफल रही। वर्ष 2006 में मालविका ने देश के प्रतिष्ठित कॉलेजों में अग्रणी दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में अर्थशास्त्र विषय से स्नातक किया। अपने बहुमुखी प्रदर्शन के बलबूते मालविका वाइल्ड-लाइफ सोसाइटी से जुड़े एक एनजीओ की कॉर्डिनेटर बन गई। इसके साथ ही उसे कॉमनवेल्थ सोसाइटी का एक्जीक्यूटिव सदस्य भी मनोनीत कर दिया गया। खाली समय में वह दो दृष्टिहीन बच्चों को पढ़ाने का भी काम करती है। आज मालविका दूसरों को सिखाती है कि चुनौतियों से सामना कैसे किया जाता है।
यह सच्ची कहानी चर्चित स्तंभकार एन. रघुरामन के जीवन के विविध रंगों को समेटे स्तंभों में से एक है। उन्होंने जो देखा-सुना-अनुभव किया और जिसने जीवन के प्रति एक सकारात्मक रुख अपनाने का मार्ग बताया, ऐसी सच्ची घटनाओं पर आधारित प्रेरक कथाओं का संग्रह है रघुरामन की प्रस्तुत पुस्तक ‘जीवन जीने के फंडे।’ सुख-दु:ख, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद में समभाव बनाए रखने का संदेश देती, अत्यंत पठनीय प्रेरणाप्रद कृति।
एन. रघुरामन
मुंबई विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट और आई.आई.टी. (सोम) मुंबई के पूर्व छात्र श्री एन. रघुरामन मँजे हुए पत्रकार हैं। 30 वर्ष से अधिक के अपने पत्रकारिता के कॅरियर में वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘डीएनए’ और ‘दैनिक भास्कर’ जैसे राष्ट्रीय दैनिकों में संपादक के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी निपुण लेखनी से शायद ही कोई विषय बचा होगा, अपराध से लेकर राजनीति और व्यापार-विकास से लेकर सफल उद्यमिता तक सभी विषयों पर उन्होंने सफलतापूर्वक लिखा है। ‘दैनिक भास्कर’ के सभी संस्करणों में प्रकाशित होनेवाला उनका दैनिक स्तंभ ‘मैनेजमेंट फंडा’ देश भर में लोकप्रिय है और तीनों भाषाओं—मराठी, गुजराती व हिंदी—में प्रतिदिन करीब तीन करोड़ पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है। इस स्तंभ की सफलता का कारण इसमें असाधारण कार्य करनेवाले साधारण लोगों की कहानियों का हवाला देते हुए जीवन की सादगी का चित्रण किया जाता है।
श्री रघुरामन ओजस्वी, प्रेरक और प्रभावी वक्ता भी हैं; बहुत सी परिचर्चाओं और परिसंवादों के कुशल संचालक हैं। मानसिक शक्ति का पूरा इस्तेमाल करने तथा व्यक्ति को अपनी क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल करने के उनके स्फूर्तिदायक तरीके की बहुत सराहना होती है।
इ-मेल : nraghuraman13@gmail.com