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Author Vijay Laxmi Sharma ‘Vijaya’
Features
  • ISBN : 9788177213799
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : Ist
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  • Kindle Store

More Information

  • Vijay Laxmi Sharma ‘Vijaya’
  • 9788177213799
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • Ist
  • 2018
  • 120
  • Hard Cover
  • 185 Grams

Description

जीवन-पथ पर चलते-चलते अनुभव हुआ कि आस-पास बहुत कुछ ऐसा हो रहा है, जो कष्टदायक है, जिससे मन आहत हो उठता है; इस कष्ट से जनमी पीड़ा ने कविता को जन्म दिया। और यहीं से हुई कवयित्री विजय लक्ष्मी शर्मा के इस प्रथम काव्य-संग्रह की शुरुआत। बहुत कुछ खोने के बाद ही हम समझ पाते हैं खोने का दर्द; जब खुद पर बीतती है, तब समझ आती है दूसरों की तकलीफ। यही संसार का नियम है, उन्हीं छोटे-छोटे पहलुओं को शब्द देने की एक कोशिश है यह काव्य-संग्रह। 
जीवन के विविध रंगों को समेटे रिश्तों, मनोभावों, भावनाओं पर अवलंबित कविताओं का पठनीय संग्रह।

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अनुक्रम

अपनी बात — Pgs.  7

आओ माँ — Pgs. 13

मेरी माँ — Pgs. 15

माँ अब बूढ़ी होने लगी है — Pgs. 16

ममता — Pgs. 18

उड़ने की चाह — Pgs. 20

एकाकीपन — Pgs. 22

एहसास है तू — Pgs. 24

दंभ — Pgs. 25

आज फिर — Pgs. 27

कौन हूँ मैं? — Pgs. 29

प्रतीक्षारत एकटक — Pgs. 33

तलाश — Pgs. 35

मौन — Pgs. 36

खामोशी — Pgs. 37

चंद्र — Pgs. 38

गजल — Pgs. 40

चंद्र छटा — Pgs. 41

बुरा मान गए — Pgs. 43

मिला नहीं — Pgs. 45

बीती बात — Pgs. 47

वादे उलफत — Pgs. 49

प्रेम की खोज — Pgs. 50

वफा — Pgs. 52

तमाशा हरदम होता है — Pgs. 53

नन्हे कदम — Pgs. 54

नर से बढ़कर नारी है — Pgs. 56

नारी वेदना जीने का अधिकार — Pgs. 58

कुछ तो नाम दीजिए — Pgs. 60

अभी रहने दो — Pgs. 62

बदलते भाव — Pgs. 64

जूठन — Pgs. 66

शायद — Pgs. 68

तकरार — Pgs. 70

अंध भक्ति — Pgs. 72

नकाब — Pgs. 74

पेड़ की व्यथा — Pgs. 76

नाम लिख दे — Pgs. 78

वह बात कहाँ — Pgs. 79

एक ऐसी दीवाली हो — Pgs. 81

रिश्ते — Pgs. 83

हिंदी हूँ मैं — Pgs. 84

हिंदी — Pgs.  87

तिरंगा मेरा साँवरिया — Pgs.  88

कोमल बचपन  — Pgs.  90

एक ख्वाहिश — Pgs.  92

तेरी याद — Pgs.  94

फिर वही दर्द — Pgs.  96

बाल-मन — Pgs.  98

ख्वाहिशों के रंग — Pgs. 100

वो किसान — Pgs. 102

सीढ़ियाँ — Pgs. 103

कहाँ खो गया — Pgs. 105

प्रिय पथिक — Pgs. 106

उस पार — Pgs. 107

मुहब्बत — Pgs. 109

मन — Pgs. 110

दर्दे दिल — Pgs. 112

बचपन — Pgs. 113

डर लगता है — Pgs. 115

अंतिम सत्य — Pgs. 117

 

The Author

Vijay Laxmi Sharma ‘Vijaya’

विजय लक्ष्मी शर्मा ‘विजया’
जन्म : 4 जुलाई, 1968, उत्तराखंड।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), दिल्ली विश्वविद्यालय। पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा आपदा प्रबंधन गुरु तेगबहादुर इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी।
कार्यस्थली : भारतीय संसद्, राज्य-सभा, उप निदेशक।
शुरू से ही लेखन में रुचि होने के कारण अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों में निबंध व काव्य प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीते, जिसमें प्रमुख हिंदी अकादमी दिल्ली, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन, रत्नाकर मंडल हैं। इसके अलावा राज्यसभा की विभिन्न प्रतियोगिताओं में कुशलतापूर्वक भागीदारी, काव्य पाठ में कई पुरस्कार जीते। राज्यसभा से निकलनेवाली वार्षिक पत्रिका ‘नूतन प्रतिबिंब’ में कविताएँ और लेख छपते रहते हैं। टेलीविजन पर भी कई बार कविताओं की प्रस्तुति, राज्यसभा में मंच संचालन। कवि सम्मेलनों में भी भाग लेने का मौका मिला।
इ-मेल : chini2023@gmail.com
मो. 8587909899, 8700404381

 

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