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एक महिला ने कहा, “आप भी बहनजी, बेकार परेशान हो रही हैं। अरे, इस लड़की को इलाज के लिए अगर मेंटल हॉस्पिटल में भेज देंगे तो इनके घर का सारा काम कौन सँभालेगा? इस लड़की की माँ को आप नहीं देख रही हैं, कैसा नाटक बनाकर रो रही है! दिन भर बीमार बनी पलंग पर पड़ी रहती है। यही लड़की उसकी तीमारदारी में भी लगी रहती है और पलटन भर भाई-बहनों को भी सँभालती है। जरा सी चूक हुई कि वह शिकायतों की फेहरिस्त अपने खसम को थमा देती है और यह बेचारी इसी तरह पिटती है।”
“अरे, अजीब औरत हो तुम! जिस प्रेमी को पाने के लिए तुम अपना सबकुछ छोड़ने को तैयार हो, उसी की पत्नी के आगे पिटकर क्या तुम अपमानित नहीं हुईं?” “कैसा मान और कैसा अपमान? जब शुरू-शुरू में मैं उसके प्रेम-बंधन में फँसी थी और मेरे पति ने मेरे माता-पिता के आगे मुझे मारा था तो मेरे माता-पिता ने भी मेरा तिरस्कार किया। मुझे मेरे मायके की देहरी लाँघने नहीं दी। मैंने अपनी माँ की ओर बड़ी उम्मीद से देखा था। उसकी आँखों में मेरे लिए आँसू थे, पर वह विवश थी। तभी मैं समझ गई थी कि प्रसव-पीड़ा झेलना और संतान का दर्द, और वह भी बेटी का दर्द, महसूस करना दो अलग चीजें हैं।”
—इसी संग्रह से
सामाजिक व पारिवारिक विसंगतियों एवं विषमताओं को उकेरतीं तथा मानवीय सरोकारों को बयाँ करती मार्मिक कहानियाँ। नारी के कारुणिक संसार तथा उसके अनेक रूपों को वर्णित करती हृदयस्पर्शी कहानियाँ, जिन्हें पढ़कर वर्षों भुलाया न जा सकेगा।
विभा देवसरे की लेखन प्रतिभा का प्रस्फुटन उस समय हुआ जब वह नौवीं कक्षा की छात्रा थीं। इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था की ओर से आयोजित कहानी प्रतियोगिता में उनकी कहानी ‘प्रायश्चित्त’ को प्रथम पुरस्कार मिला। इलाहाबाद में जनमीं और वहीं शिक्षा प्राप्त की। कलकत्ता से प्रकाशित ‘आदर्श’ पत्रिका में अनेक रचनाएँ प्रकाशित हुईं। विभा देवसरे का रचना-संसार बहुत विस्तृत है, जिनमें एक कहानी-संग्रह ‘कतरन’; तीन नाटकों का संग्रह ‘वह एक दिन’, महिला विमर्श के विविध पहलुओं पर आधारित पुस्तक ‘ऊबती दोपहर ऊँघती महिलाएँ’, ‘पाँच देवता एक मंदिर’, ‘फाँसी के फंदे’, ‘भारत की संत महिलाएँ’, ‘आजादी की कहानी’; बच्चों के लिए ‘शनिलोक’, ‘हमारे समाज सुधारक’, ‘लेट-लतीफ’, ‘टीनू खरगोश’, ‘शेर बोला म्याऊँ’, ‘पाँच पूँछ का चूहा’, ‘कठपुतली की आँखें’, ‘आओ गाएँ गीत’, ‘मूर्खों का नगर’, ‘सबसे अमीर, सबसे गरीब’, ‘बुद्धि बड़ी या धन’ आदि। दूरदर्शन के लिए ‘ताक धिना-धिन’, ‘मान-अपमान’, ‘अजब-गजब’ जैसे लोकप्रिय सीरियल तथा नाटकों का प्रसारण, आकाशवाणी के लिए लगभग पचास नाटक एवं कई धारावाहिकों एवं अनेक वार्त्ताओं का प्रसारण।
भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, अखिल भारतीय बाल कल्याण परिषद्, भारत रूसी सांस्कृतिक समिति द्वारा सम्मानित। उत्तर प्रदेश संस्थान द्वारा महिला एवं बच्चों के लेखन के लिए ‘सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान’, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा ‘स्वागत है बेटी’ के लिए पुरस्कृत। ‘लेखिका वार्षिकी’ एवं ‘प्रारंभ’ पत्रिका और ‘अंत:निनाद’ कहानी-संग्रह का संपादन।