₹350
आस्ट्रेलिया एक ऐसा देश है, जहाँ रेगिस्तान के अनेक क्षेत्र हैं । नदियाँ यहाँ सूख जाती है, दलदली मिट्टी वे दरारदार खपटे बन जाते हैं और पानी जमीन में समा जाता है ।.. और जल की खोज मे भेक (मेंढक) उसी जमीन और नदी के सूखे रेत मे छिपकर समा जाते है ।
ये जीव धरती के नीचे पानी जमा करके जीते हैं और आदिवासी किशोरियाँ भी इन्हीं जीवों के शरीर को निचोड़कर निकले पानी से अपनी प्यास बुझाती हैं । इन्हें निचोड़कर वह पुन: फेंक देती हैं, ताकि ये दलदली जमीन में धँसकर फिर पानी एकत्रित कर लें । अपनी- अपनी जरूरत से मजबूर इन मनुष्यों और जीवों का कैसा अनोखा व्यवहार है-यह प्रकृति और जीव-विज्ञान का एक आश्चर्यजनक तथ्य है ।
- इसी पुस्तक में पढ़ें
जीव-जगत के अनोखे और
विविधता भरे आश्चर्यों का
रोचक और ज्ञानवर्धक वर्णन ।
कौतूहली किशोरों
विज्ञान-प्रेमी विद्यार्थियों,
विविध-रसग्राही वयस्कों और
स्वाध्याय-संपन्न सज्जनों के लिए
समान रूप से पठनीय-मननीय-संग्रहणीय
तथा रमणीय रचना -
जीवों का संसार अनोखा
सन् 1953 में पहली कहानी ‘प्यार और जलन’ छपी। पहला उपन्यास ‘खिलते फूल’ पाठकों द्वारा बहुत सराहा गया। साठ-सत्तर के दशक में ‘राजा सूरजमल’, (ऐतिहासिक उपन्यास), ‘हजार हाथ’ (पुरस्कृत), वैज्ञानिक कहानियों का संग्रह ‘उड़न तश्तरियों का रोमांच’, ‘खँडहर की मैना’ प्रकाशित। लगभग 50 वर्ष के लेखन में साहित्यिक, वैज्ञानिक, ऐतिहासिक विषयों पर 55 से अधिक पुस्तकें तथा विज्ञान एवं खाद्य कृषि समस्याओं पर एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। ‘रेगिस्तान के भगीरथ’ और ‘जीवों का संसार’ पुस्तकें भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से पुरस्कृत। रेडियो नाटक, एकांकी एवं संपूर्ण नाटक, कविताएँ और लेख-वार्त्ताओं के प्रसारण-प्रकाशन की संख्या हजार से ऊपर। इन्हें राष्ट्रीय कृषि पत्रकार का पाँच हजार रुपए का पुरस्कार भी मिला है । रोचक व सरल शैली तथा बोलती हुई जीवंत भाषा इनकी अपनी विशेषता है । विज्ञान-जगत को इनसे बहुत आशाएँ हैं।
संप्रति : भारत सरकार के कृषि मंत्रालय में संपादक