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Jeewan Sangram "जीवन संग्राम" Book in Hindi- K.L. Khanna
विभाजन के बाद सबकुछ छोड़कर खैरातीलालखननाजी का परिवार भारत आया, अनेक संपन्न हिंदूपरिवारों की तरह उनको भी इस त्रासदी को झेलना पड़ा ।शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह पिलानी विद्यालय में गए,साथ ही छोटे-मोटे काम करके धनोपार्जन किया औरपास की बस्तियों में जाकर सेवाकार्य भी किए । वंचितोंके प्रति यह सेवाभाव उनमें बचपन से ही रहा ।