आन के अमर नायक भगवान् बिरसा मुंडा की जयंती पर 5 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य अस्तित्व में आया, जबकि झारखंड निर्माण की माँग आजादी के पूर्व से ही होने लगी थी। इस माँग ने जोर पकड़ा 80 के दशक में, जब बिनोद बिहारी महतो, कॉमरेड ए.के, रॉय और शिबू सोरेन ने *झारखंड मुक्ति मोर्चा' का गठनकिया। इसके बाद आंदोलनों का लंबा इतिहासहै। इस लंबे कालखंड में लाखों लोगों औरप्राय: सभी दलों ने अलग राज्य की लड़ाईलड़ी | पुलिस का दमन सहा, लाठी-गोली खाईऔर कई ने प्राणों की आहुति दी। हजारों कोजेल हुई। इस पुस्तक में आप भारत केऐतिहासिक-पौराणिक संदर्भ में झारखंड को तोजानेंगे ही, राज्य की पहली विधानसभा के गठनसे लेकर पाँचवीं विधानसभा के गठन तक केमहत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रमों, सत्ता के लिएनैतिक-अनैतिक गठजोड़ों, षडयंत्रों औरघोटालों की पूरी कहानी भी जानेंगे । इनमें कईघटनाएँ बेहद रोचक हैं, जो किसी सफल फिल्मके कथानक की तरह लगती हैं । लेखक श्यामकिशोर चौबे ने इन घटनाओं को जितनीकुशलता से सिलसिलेवार पिरोया है, वहअद्भुत है। यह पुस्तक रोचक, पठनीय औरसंग्रहणीय है। यह छात्रों, प्रतियोगी परीक्षाओंकी तैयारी करनेवाले युवाओं और शोधार्थियोंके लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगी ।