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कोई भी देश या राज्य बाहरी लोगों और उनके द्वारा लाए गए विविध विचारों के लिए अपने दरवाजे बंद करके प्रगति और विकास नहीं कर सकता है। भारत की प्रगति विभिन्न उद्योगपतियों, उद्यमियों, खिलाडिय़ों, राजनेताओं और कलाकारों की देन है। इनमें से कइयों ने अपने मूल राज्य को छोड़कर किसी और राज्य को अपनाया तथा उस राज्य एवं संपूर्ण राष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, धीरूभाई अंबानी, जो गुजरात से महाराष्ट्र आए या बलदेव दास बिड़ला, जो राजस्थान से पश्चिम बंगाल चले गए।
भारत की खूबी यह है कि किसी भी राज्य के लोगों का दूसरे राज्यों द्वारा स्वागत किया जाता है। लोग बेहतर रोजगार, सुविधा या अवसर की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। उनका गोद लिया हुआ घर उन्हें अवसर, संसाधन और ह्रश्वयार प्रदान करता है। बदले में वे प्रवासी राज्य के लोगों के साथ एक हो जाते हैं। अकसर राज्य की सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत योगदान देते हैं।
यह पुस्तक झारखंड में प्रवासियों के योगदान और राज्य में उनके एकीकरण को प्रदर्शित करने का एक लघु प्रयास है। देश और उसके लोगों की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने में प्रवासियों, साथ ही राज्य की भूमिका को स्वीकार करने के लिए ऐसी पुस्तकें आवश्यक हैं।
जन्म: सन् 1954, रामगढ़ कैंट, बिहार (अब झारखंड में)।
शिक्षा: बी.आई.टी. सिंदरी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग।
लेखन कार्य: 'आकाशदीप' त्रैमासिक लघुपत्र का 12 वर्षों (2006-2018) तक प्रकाशन और संपादन; राष्ट्रीय मासिक पत्रिका 'सबलोग' के संपादक मंडल में दो वर्ष (2019-2020); राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं एवं समाचार-पत्रों में अनेक लेखों का प्रकाशन।
सामाजिक कार्य: रेडक्रॉस सोसाइटी, रोटरी इंटरनेशनल, एनएपीएम, समनेट इंडिया, झारखंड पीपल्स फोरम, सर्व-धर्म समन्वय परिषद, सिटीजन फोरम, चैंबर ऑफ कॉमर्स, भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा जैसी अनेक संस्थाओं का नेतृत्व और उनके साथ कार्य।
विदेश यात्रा: अमेरिका, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, जर्मनी, नीदरलैंड, सिंगापुर तथा पाकिस्तान की यात्रा।
सम्मान: रोटरी इंटरनेशनल द्वारा प्रदत्त सर्वोच्च सम्मान 'सर्विस अबव सेल्फ अवार्ड', झारखंड राजभाषा परिषद द्वारा 'कवि व्यथित स्मृति रत्न' सम्मान (2017), अखिल भारतीय हिंदी सेवा समिति, टीकमगढ़ (म.प्र.) द्वारा 'प्रेमनारायण बगेरिया स्मृति सम्मान' (2018)।
इ-मेल: bkhetamsaria@gmail.com