Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Jharkhand Mein Vidroh Ka Itihas   

₹500

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Shailendra Mahto
Features
  • ISBN : 9789390366637
  • Language : Hindi
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shailendra Mahto
  • 9789390366637
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2021
  • 208
  • Hard Cover

Description

झारखंड संघर्ष की धरती रही है। यहाँ के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता की पहली लड़ाई लड़ी थी। ‘झारखंड में विद्रोह का इतिहास’ नामक इस पुस्तक में 1767 से 1914 तक हुए संघर्ष का जिक्र है। धालभूम विद्रोह के संघर्ष से कहानी आरंभ होती है। उसके बाद चुआड़ विद्रोह, तिलका माझी का संषर्घ, कोल विद्रोह, भूमिज विद्रोह, संथाल विद्रोह, बिरसा मुंडा का उलगुलान आदि सभी संघर्ष-विद्रोहों के बारे में इस पुस्तक में विस्तार से चर्चा की गई है। संथाल विद्रोह के तुरंत बाद ही, यानी 1857 में झारखंड क्षेत्र में भी सिपाही विद्रोह हुआ। झारखंड के वीरों ने इस विद्रोह में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। राजा अर्जुन सिंह, नीलांबर-पीतांबर, ठाकुर विश्वनाथ शाही, पांडेय गणपत राय, उमरांव सिंह टिकैत, शेख भिखारी आदि उस विद्रोह के नायक थे। इस पुस्तक में उनके संघर्ष के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। पुस्तक में चानकु महतो, तेलंगा खडि़या, सरदारी लड़ाई, टाना भगतो के आंदोलन, गंगानारायण सिंह, बुली महतो से संघर्ष का भी जिक्र है। बिरसा मुंडा के एक सहयोगी गया मुंडा और उनके परिवार के संघर्ष का जीवंत विवरण दिया गया है। प्रयास है कि झारखंड के वीरों और उनके संघर्ष की जानकारी जन-जन तक पहुँचे और किसी भी विद्रोह का इतिहास छूट न जाए। इस पुस्तक की खासियत यह है कि सभी विद्रोहों-संघर्षों का प्रामाणिक विवरण एक जगह दिया गया है। झारखंड में जल-जंगल-जमीन का अधिकार, अपनी अस्मिता और भारत मुक्ति आंदोलन की लड़ाई को भी समाहित किया गया है, ताकि पुस्तक का क्षेत्र और व्यापक हो जाए।

The Author

Shailendra Mahto

शैलेंद्र महतो का जन्म 11 अक्तूबर, 1953 को झारखंड के तत्कालीन अविभाजित सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर थाना अंतर्गत सेताहाका गाँव में हुआ था। सन् 1973 में मात्र बीस वर्ष की उम्र में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और झारखंड आंदोलन का हिस्सा बने। 1978 में झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होकर झारखंडी अस्मिता और उनका गौरव-सम्मान, जल-जंगल-जमीन के अधिकार के लंबे झारखंड आंदोलन में शैलेंद्र महतो की अग्रणी भूमिका रही है। 1987 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव बने। राजीव गांधी सरकार द्वारा गठित ‘झारखंड विषयक समिति’ के सदस्य रहे और झामुमो से 9वीं एवं 10वीं लोकसभा में जमशेदपुर के सांसद बने। बाद में झामुमो छोड़कर झारखंड राज्य हासिल करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समक्ष भाजपा में शामिल हुए। इनकी पत्नी आभा महतो 12वीं और 13वीं लोकसभा में भाजपा से जमशेदपुर की सांसद बनी। श्री महतो की राजनीति के अलावा लेखन में भी रुचि रही है और उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—

झारखंड राज्य और उपनिवेशवाद, देश और दृष्टि, झारखंड की समरगाथा।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW