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"सुपरिचित रचनाकार रश्मि शर्मा के यात्रा-संस्मरणों की इस पहली पुस्तक में झारखंड और लद्दाख, दोनों ही प्रदेशों के यात्रा-वृत्तांत सम्मिलित हैं। यात्राएँ मन की हो, देश-दुनिया की या फिर सभ्यताओं की, मानव इतिहास की निर्मिति में इनकी बड़ी भूमिका होती है। दुनिया के जाने कितने अनजाने प्रदेश किसी ऐतिहासिक यात्रा और यायावरी के बाद ही प्रकाश में आए। झारखंड से लद्दाख तक का यह सफर ऐसी कितनी ही अनदेखी, अनजानी वीथियों का पता अपने भीतर छुपाए बैठा है।
झारखंड और लद्दाख का प्राकृतिक सौंदर्य जहाँ एक तरफ सैलानियों को लुभाता है, वहीं दूसरी तरफ वहाँ की जनजातीय जीवनशैली, लोक-कलाएँ, रीति-रिवाज देश और दुनिया के दूसरे हिस्से के निवासियों के भीतर कौतूहल और संवेदनाओं के नए संसार की रचना करते हैं।
रश्मि शर्मा की यायावर दृष्टि इन प्रदेशों के बाह्य सौंदर्य को किसी छायाकार की तरह सहेजती तो है ही, उस भूगोल और लोक के भीतर स्पंदित होते जीवन को उसके संपूर्ण वैभव के साथ दर्ज भी करती चलती है। कविता की तरह तरल और कथा की तरह कौतूहल से भरी ये यात्रा-छवियाँ किसी इनसाइडर की-सी सूक्ष्मता और आत्मीयता के साथ परिचित प्रदेशों के अनजान जीवन-क्षेत्रों का गहन अनुसंधान करती हैं।
इस पुस्तक को पढऩा प्रकृति और जीवन की खूबसूरत जुगलबंदी सुनने जैसा है।"