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झारखंड वस्तुनिष्ठ 7000 ‘झारखंड वस्तुनिष्ठ’ प्रस्तुत पुस्तक झारखंड की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी पुस्तक है। पुस्तक के भाग-I में झारखंड राज्य के इतिहास, उसकी अर्थव्यवस्था, राज्य के भूमि संबंधी कानून, राज्य के विकास हेतु सरकार की योजनाएँ एवं नीतियाँ, पर्यावरण, शिक्षण संस्थान, लोक साहित्य एवं साहित्यकार, खेल एवं खिलाडी, बजट 2020-21 आदि महत्वपूर्ण विषयों से सम्बंधित प्रश्नों का अध्यायवर संकलन किया गया है। इसके अतिरिक्त पुस्तक के भाग–II और III में अभ्यास हेतु 95 अभ्यास प्रश्नावलियाँ तथा राज्य की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के विगत वर्षों के प्रश्न-पत्रों का संकलन किया गया है, जो अभ्यर्थियों को उनकी परीक्षा-पद्धति से अवगत कराने में विशेष भूमिका का निर्वाह करेंगे।
प्रमुख विशेषताएँ :-
(1) झारखंड राज्य से संबंधित 7000 से अधिक वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का समावेश।
(2) छात्रों की सुविधा के लिए प्रश्नों का अध्यायवार संकलन।
(3) राज्य के बजट 2020-21 से संबंधित संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों का संकलन।
(4) परीक्षा हेतु उपयोगी 95 अभ्यास प्रश्नावलियों का उत्तर सहित संकलन।
(5) विगत वर्षों की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न-पत्रों का उत्तर सहित संकलन।
(6) झारखंड राज्य से संबंधित समसामयिकी से संबंधित प्रश्नों का संकलन।
डॉ. मनीष रंजन वर्ष 2002 बैच के आई.ए.एस. अफसर हैं और वर्तमान में झारखंड सरकार में कार्यरत हैं। उन्होंने झारखंड में विभिन्न जिलों में उपायुक्त-सह-जिला कलेक्टर के रूप में सफलतापूर्वक काम किया है। उन्होंने नेतरहाट विद्यालय, नेतरहाट से स्कूली शिक्षा एवं पटना कॉलेज, पटना तथा हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। IRMA, गुजरात से एम.बी.ए. करने के बाद उन्होंने मैनेजमेंट स्टडीज में पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, इंग्लैंड, जॉन्स हापकिंस यूनिवर्सिटी, अमेरिका, फ्रैंकफर्ट स्कूल ऑफ फाइनेंस एंड मैनेजमेंट, जर्मनी, इंटरनेशनल ट्रेनिंग सेंटर, तुरीन, इटली एवं कोरिया डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, दक्षिण कोरिया में अध्ययन किया।
प्रोफेशनल कॅरियर में उन्होंने आई.ए.एस. की मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए ‘डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल’ प्राप्त किया था। उन्हें लगातार दो वर्ष प्रधानमंत्री ‘मनरेगा उत्कृष्टता पुरस्कार’, राष्ट्रपति से ‘निर्मल ग्राम पुरस्कार’, एशियन फेडरेशन ऑफ इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटीज, जापान से ‘स्टार राफ्ट पुरस्कार’ और शारीरिक दिव्यांगों के लिए अनुकरणीय कार्य करने के लिए भारत सरकार द्वारा ‘स्पंदन पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। यह उनकी नौवीं पुस्तक है। झारखंड उनकी कर्मस्थली है तो इससे लगाव होना सहज ही है। अध्ययन, अन्वेषण और चिंतन में निरंतर उनकी रुचि है, जो लेखकीय दायित्व के लिए आवश्यक है।