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जियो तो ऐसे जियो—जयंती जैनजीवन भर हम दूसरों के साथ कैसे रहें, यह सीखते हैं, लेकिन स्वयं को भूल जाते हैं। जबकि अपने प्रथम मित्र तो हम स्वयं हैं। यदि हम अपने साथ सुख एवं खुशी से नहीं रह सकते हैं तो जीवन का क्या अर्थ है? हमारी उपलब्धियाँ एवं जीतने का क्या अर्थ है? स्वयं को खोकर कुछ भी पा लें तो बेकार है। इस ‘स्वयं’ को सुव्यवस्थित करने की कला का नाम जीवन प्रबंधन है।
प्रस्तुत पुस्तक में विद्वान् लेखक द्वारा कहानी, तर्क, शोध, व्यक्तिगत अनुभव एवं उदाहरण द्वारा जीवन जीने के सूत्र बताए गए हैं। हो सकता है, जीवन जीने के इन सूत्रों, विधियों, तरीकों या उपायों से आप पहले से ही अवगत हों, फिर भी आप इनकी शक्ति को कम न समझें। ये वे उपाय हैं, जो आपको जीवन जीने की कला सिखा सकते हैं। मार्ग पर चलना प्रारंभ करेंगे, आगे बढ़ेंगे, तभी लक्ष्य को प्राप्त कर पाएँगे।जीवन प्रबंधन और जीवन कैसे जिएँ—को विस्तार से बताती है यह लोकोपयोगी पुस्तक।
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विषय सूची
दिल से — Pgs. 7
आप सबसे महत्त्वपूर्ण हैं — Pgs. 9
यह पुस्तक आपके लिए क्यों उपयोगी है? — Pgs. 11
पुस्तक के जन्म की कहानी — Pgs. 13
आत्मा-देह-मस्तिष्क मिलकर प्रकृति के गीत गाते हैं — Pgs. 17
भाग एक : मस्तिष्क-प्रबंधन
1. स्व-प्रबंधन की जड़ : आत्म-विज्ञान — Pgs. 23
2. प्रबंधन का रहस्य : विचारों को बदलें — Pgs. 31
3. खुद का प्रबंधन कैसे करें — Pgs. 39
भाग दो : देह-प्रबंधन
4. संपूर्ण स्वास्थ्य — Pgs. 49
5. थकान मिटाएँ : विश्राम से ऊर्जा प्राप्त करें — Pgs. 56
6. जीवन में रीचार्ज होने के लिए जरूरी है स्वस्थ मनोरंजन — Pgs. 61
7. बुढ़ापे को चुनौती — Pgs. 66
8. जानलेवा रोगों का सामना कैसे करें — Pgs. 72
भाग तीन : अर्थ-प्र्रबंधन
9. पैसा रास्ता है, मंजिल नहीं — Pgs. 85
10. व्यावसायिक जीवन को खुशहाल कैसे बनाएँ? — Pgs. 91
भाग चार : परिवार-प्रबंधन
11. जीवन-साथी के साथ कैसे रहें — Pgs. 97
12. कैसे जीतें काम-वासना को — Pgs. 103
13. स्वीकारने एवं स्वयं को पे्रम करने का विज्ञान — Pgs. 107
14. बच्चों को पालने की कला एवं विज्ञान — Pgs. 112
15. परिवार में शांति एवं बुजुर्गों के साथ रहने की कला — Pgs. 120
भाग पाँच : समाज-प्रबंधन
16. समाज से कैसे जुड़ें : सहयोग कैसे पाएँ — Pgs. 127
17. कृष्ण जैसे सच्चे मित्र की मदद से तनाव को जीतें — Pgs. 131
18. जीवन-शैली को बदलने की प्रक्रिया में उत्पन्न प्रश्न — Pgs. 138
भाग छह : मृत्यु-प्रबंधन
19. मृत्यु का सामना कैसे करें? — Pgs. 149
20. परलोक-विज्ञान — Pgs. 156
भाग सात : चेतना-प्रबंधन
21. ध्यान का विज्ञान : साक्षी जीवन — Pgs. 163
22. चेतना का विज्ञान — Pgs. 168
जीवन-प्रबंधन के अनूठे सूत्र — Pgs. 175
जयंती जैन उदयपुर के पास एक छोटे से गाँव शक्तावतों का गुडा में पैदा हुए। इन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्व-विद्यालय, नई दिल्ली में अध्ययन किया। विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य करते रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। इस विधा में लिखी गई पुस्तकों में उनकी कृति ‘उठो! जागो! लक्ष्य की प्राप्ति तक रुको नहीं!’ अपना विशिष्ट स्थान निरंतर बनाती जा रही है।
आजकल वे विभिन्न शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा आयोजित सेमिनार्स के माध्यम से युवकों, अधिकारियों व उद्यमियों को प्रोत्साहित कर उनके जीवन में बदलाव लाने में प्रयत्नशील हैं। संप्रति वे राजस्थान सरकार के वाणिज्यिक कर विभाग में उपायुक्त तथा राजस्थान एवं जम्मू व कश्मीर सरकार के वैल्यू एडेड टैक्स प्रशिक्षक भी हैं।
इ-मेल : jayantijain@gmail.com