₹500
7 मार्च, 2011 को मैनहैटन के एक आला दर्जे के रेस्टोरेंट में विशेष लंच का आयोजन था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और उनकी पूरी ए-टीम मौजूद थी। जल्दी ही स्पष्ट हो गया कि चर्चा का मुख्य विषय लीबिया था, जहाँ कथित रूप से मुअम्मर गद्दाफी की सेना विद्रोहियों के गढ़ बेंगाजी की ओर पूरे विपक्ष को कुचलने के लिए तेजी से बढ़ रही थी। प्रति व्यक्ति 80 डॉलर के इस लंच पर सुरक्षा परिषद् में प्रतिनिधित्व करनेवाले देशों के दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण कूटनीतिज्ञों का एक छोटा समूह बल प्रयोग पर चर्चा कर रहा था, जो कहने को तो नागरिकों की सुरक्षा के लिए था, लेकिन वास्तव में उसका मकसद सत्ता-परिवर्तन करना था। बात आगे बढ़ी और महज दस दिन बाद परिषद् की मंजूरी मिल गई, और फिर सबकुछ बेकाबू हो गया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के तत्कालीन राजदूत, हरदीप पुरी परिषद् के मनमाने फैसले लेने के ढंग और इसके कुछ स्थायी सदस्यों में बिना सोचे-समझे दखलंदाजी की मची रहनेवाली बेचैनी का खुलासा करते हैं। संकटपूर्ण हस्तक्षेप दिखाता है कि केवल लीबिया और सीरिया ही नहीं, बल्कि यमन और क्रीमिया में बल प्रयोग के फैसले विनाशकारी रूप से गलत साबित हुए। वरिष्ठ राजनयिक हरदीप पुरी इस प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हैं, जिसके अंतर्गत हस्तक्षेप करनेवाले देश अपने हित को साध लेने के बाद मुँह मोड़ लेते हैं। वह हस्तक्षेपों और सत्ता-परिवर्तन के प्रयासों के विरुद्ध चेतावनी देने की भारत की भूमिका को भी स्पष्ट करते हैं।
संयम और सावधानी के पथ पर चलते हुए, संकटपूर्ण हस्तक्षेप दुनिया के ताकतवर देशों को उनके बुरे कर्मों की याद दिलाती है और वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की माँग करती है।
हरदीप सिंह पुरी भारतीय विदेश सेवा के विदेश अधिकारी हैं। उन्होंने सन् 2002 से सन् 2005 तक जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में तथा सन् 2009 से 2013 तक न्यूयॉर्क में अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं, जिसमें सन् 2011-12 का समय भी शामिल है, जब भारत सुरक्षा परिषद् का अस्थायी सदस्य भी था। हरदीप सिंह पुरी अगस्त 2011 और नवंबर 2012 में परिषद् के अध्यक्ष थे तथा जनवरी 2011 से फरवरी 2013 तक काउंटर टेररिजम कमेटी के अध्यक्ष थे। इससे पहले उन्होंने ब्राजील, जापान, श्रीलंका और इंग्लैंड में महत्त्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं।
संप्रति : आवासन और शहरी कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), नागर विमानन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री, भारत सरकार।