Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Josh, Jazba Aur Junoon | Hindi Version of Soldiering ON | Ambreen Zaidi   

₹400

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Ambreen Zaidi
Features
  • ISBN : 9789355217486
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Ambreen Zaidi
  • 9789355217486
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2024
  • 216
  • Soft Cover
  • 240 Grams

Description

यह पुस्तक कई कारणों से विशेष महत्त्व रखती है। हमारे देश के नागरिकों में ड्यूटी के दौरान घायल हुए और अपने अंग गँवाने वाले सैनिकों के बलिदान तथा उनकी चुनौतियों के बारे में जागरूकता की कमी है। साथ ही ऐसे दिव्यांग सैनिकों की सहायता के लिए एक व्यापक नीतिगत ढाँचे का भी अभाव है । इस कारण उन्हें दिव्यांगता का लाभ प्राप्त करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है, जिसके वे हकदार हैं।

लेखिका अपनी शोध-यात्रा में जब एक शहर से दूसरे शहर तक गईं और इन साहसी सैनिकों से मिली तो उन्हें अहसास हुआ कि हमारे बीच ऐसी कई अज्ञात और गुमनाम हस्तियाँ हैं, जिनकी कहानी अब तक किसी ने नहीं सुनी है। अपनी शारीरिक सीमाओं और जीवन भर के मानसिक सदमे के बावजूद प्रेरणा के प्रतीक के रूप में खड़े हैं। उनकी देशभक्ति अटल है और उनमें अद्भुत दृढ़ संकल्प दिखता है, जो अपने देश की सुरक्षा व सम्मान के लिए किसी भी सक्षम शरीर वाले से टकराने का दम रखते हैं।

इस पुस्तक के माध्यम से लेखिका का इरादा इन सम्मानित लोगों के प्रति उदासीनता की ओर ध्यान खींचना और अधिकारियों से उनकी जरूरतों को पूरा करने का आग्रह करना है। दिव्यांगता बस मन में रहती है, इस मंत्र को उनमें से प्रत्येक ने दोहराया है। यह पुस्तक उन जीवट सैनिकों, भारतमाता के सच्चे सपूतों और राष्ट्र के प्रति उनकी उल्लेखनीय भक्ति को विनम्र श्रद्धांजलि है।

The Author

Ambreen Zaidi

अम्बरीन ज़ैदी एक जानी-मानी पत्रकार और स्तंभकार हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख समाचार-पत्रों में भारतीय सशस्त्र बलों के भुला दिए गए नायकों और भोपाल गैस त्रासदी के पीडि़तों से संबंधित अपनी खबरों के लिए उनकी सराहना की गई। उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं। उन्होंने नैसकॉम फाउंडेशन और कई अन्य संस्थानों में वरिष्ठ पद पर काम किया है। वह दुनिया की पहली ब्लॉग पत्रिका ‘ब्लॉगर्स पार्क’ में उसकी संस्थापक संपादक रही हैं। वह नियमित रूप से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के लिए लिखती हैं।

एक सैन्य अधिकारी की पत्नी होने के कारण अम्बरीन शहीदों की विधवाओं और अनाथों की भलाई में सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं। अपने अनुभव और दक्षता का सदुपयोग करते हुए उन्होंने ‘द चेंजमेकर्स’ नामक संगठन की स्थापना की है, जहाँ वह और उनकी टीम शहीदों की विधवाओं, अनाथों और जरूरतमंद लोगों की पहचान, परामर्श और मार्गदर्शन करती है।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW