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Author Gurucharan Singh Gandhi
Features
  • ISBN : 9789352663675
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Gurucharan Singh Gandhi
  • 9789352663675
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 256
  • Hard Cover
  • 350 Grams

Description

कबीर के विचार खुली हवा के झोंकों की तरह हैं, जो मन के कोने में छिपी गाँठों को खोलकर हमें खुली हवा में साँस लेकर खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। कबीर के विचार सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ही नहीं, वरन् कॉरपोरेट वर्ल्ड में भी कदम-कदम पर हमारे काम आते हैं। वे बताते हैं कि दर्शन का संतुलन कार्य से और सिद्धांत का संतुलन व्यवहार से किस प्रकार स्थापित किया जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में कबीर के विचारों द्वारा सफलता और खुशी के बीच के संतुलन, तरीकों और नतीजों के बीच के तनाव, नेतृत्व नाम की पहेली को सुलझाने इत्यादि पर प्रकाश डाला गया है। 
कबीर अपने विचारों में कर्मचारी के समक्ष मौजूदा चुनौतियों और संघर्षों की 
चर्चा करते हैं। वे समाधान भी सुझाते हैं और कहते हैं—
—सिद्धांत और आडंबर छोड़ें तथा तथ्यात्मक बनें।
—अपने तार्किक प्रश्नों के उत्तर सक्षम व्यक्ति से पूछें।
—सही मार्गदर्शक चुनें और बनें।
—कार्यों को मनोयोग से निबटाएँ और इस दौरान अपना व्यवहार संयमित रखें।
कबीर का अपना निजी जीवन कर्तव्य-परायणता की मिसाल था। वे स्वयं एक चलते-फिरते कॉरपोरेट वर्ल्ड थे। प्रस्तुत पुस्तक में उनके कर्तव्यनिष्ठ जीवन और प्रेरक विचारों को इस प्रकार से प्रस्तुत किया गया है कि उन्हें जीवन में उतारकर हम अपने कामकाजी जीवन को सुदृढ, सुचारू, सरल, उर्वर और समाजोपयोगी बना सकते हैं, जो निश्चित ही सबके लिए फलकारी साबित हो सकता है। एक उपयोगी एवं संग्रहणीय पुस्तक।

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अनुक्रम

परिचय—7

आभार—11

1. एक अच्छे नेता का प्रमाण—15

2. नेतृत्व और साहस —23

3. नेताओं के गुण—31

4. समानुभूति और नेतृत्व—45

5. किताबी नेता—53

6. छद्म नेता—59

7. आपकी संगत—69

8. कार्य, क्षमता और पहचान—84

9. सच्ची लगन की प्रकृति—99

10. लगन आपके साथ या करती है—107

11. समर्पण—114

12. फोकस—121

13. कोच—129

14. एक अच्छा कोच या कर सकता है?—137

15. सही कोच—145

16. अच्छा कोच-बुरा कोच—150

17. अच्छा छात्र/शिक्षार्थी/प्रशिक्षु कैसे बनें?—158

18. आलोचक को आमंत्रण—168

19. गुण—182

20. अहंकार और आत्म-जागरूकता—195

21. विचार की समग्रता और स्थिरता —216

22. कार्यस्थल पर विवेक—226

23. जीवन का ज्ञान—246

उारचिंतन—255

The Author

Gurucharan Singh Gandhi

गुरुचरण सिंह गांधी ने झींकपानी (झारखंड) की धूल भरी सड़कों से लेकर महानगर तक की दूरी अपने गाँववाले व्यक्तित्व को सँभाले हुए पूरी की है।
वे खुद को फुलटाईम कॉरपोरेट वाला और पार्ट टाईम लेखक मानते हैं। उन्हें उनकी पुस्तक ‘कबीर इन कॉरपोरेट’ अंग्रेजी में और अब ‘कबीर के मैनेजमेंट सूत्र’ हिंदी में के अलावा उनके ब्लॉग www.mondaymusingbyguru पर भी पढ़ा जा सकता है। लिखने के अलावा इन्हें मैराथन दौड़ने में रुचि है। गुरुचरण कबीर को अपने मन और आत्मा के करीब महसूस करते हैं।
इनके अपने शब्दों में ‘‘इनके मित्र और आलोचक इन्हें ‘गुरु’ के नाम से बुलाते हैं, जो इन्हें इसलिए भी अच्छा लगता है, क्योंकि इससे इन्हें एक ऐसी संजीदगी का बोध होता है, जिसके ये अभी योग्य नहीं हुए हैं।’’

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