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विश्व के बच्चे आजीवन पोलियो उन्मूलन के लिए ग्लोबल प्रयासों में शामिल सभी व्यक्तियों, संगठनों के आभारी रहेंगे। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि विश्व के किसी भी कोने में जब तक एक भी बच्चा इस रोग से ग्रस्त रहेगा, तब तक सभी देशों के बच्चों को पोलियो संक्रमण का जोखिम बना रहेगा। इन प्रयासों में शामिल प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह खबर चौंकानेवाली रहेगी कि 2009-10 में पोलियो मुक्त 23 देश वायरस के आने से इस रोग की चपेट में पुनः आ गए। इस खबर से हमें यह चेतावनी लेनी चाहिए कि हमें सतर्क होकर पोलियो उन्मूलन के लिए पहल के कुछ अंतिम उपाय अवश्य करने चाहिए।
आइए, एक बार फिर हम शपथ लेते हैं कि वर्ष 1995 की राष्ट्रीय भावना पुनः जाग्रत् करके पोलियो जैसे अन्य रोगों से लड़ेंगे तथा देश में बड़े सामाजिक आंदोलन के रूप में स्वास्थ्य के विकास के लिए एकसूत्र में बँधेंगे। यदि हम सभी के लिए स्वास्थ्य सुनिश्चित कर सकते हैं तो हम अपने देश का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित कर पाएँगे। चेचक (ह्यद्वड्डद्यद्य श्चश3) के उन्मूलन के बाद, हमने एक बार फिर इतिहास रचा है। अब प्रत्येक देशवासी को सभी के लिए स्वास्थ्य अर्जित करने में इतिहास रचने का अवसर मिला है।
‘कहानी दो बूँदों की’ दिल्ली में पोलियो उन्मूलन हेतु चलाए गए उस अभियान की रोचक और प्रेरणादायी कहानी है, जो पूरे देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण साबित हुआ है। वस्तुतः विकासशील देशों में फैले किसी भी रोग से जूझने के लिए इसका उपयोग मील के पत्थर के रूप में किया जा सकता है। जनहित में लगे चिकित्सा विशेषज्ञों, स्वास्थ्य अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों के लिए यह पुस्तक एक गाइड के रूप में काम आएगी।
इसमें रुचिकर तरीके से यह दरशाया गया है कि किस तरह विभिन्न क्षेत्रों—धार्मिक, खेल, फिल्म, कला व संस्कृति, सामाजिक, यहाँ तक कि राजनीति—में लगे लोगों व संगठनों को एक अभियान में सहभागिता के लिए प्रेरित और सक्रिय किया जा सकता है। त्वरित और प्रभावपूर्ण परिणामों को प्राप्त करने के लिए नव प्रवर्तनकारी और कल्पनाशील तकनीकों के साथ-साथ पुराने परंपरागत रीति-रिवाजों और आधुनिक प्रबंधकीय विधियों का उपयोग किया गया।
संक्षेप में कहें तो यह पुस्तक नीति-नियोजकों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए एक पथ-प्रदर्शक है। साथ ही जन-अभियानों के लिए एक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जो सामान्य पाठकों को भी सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेगी।
डॉ. हर्ष वर्धन ने प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से और मेडिकल शिक्षा गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, कानपुर से प्राप्त की। एम.बी.बी.एस. और एम.एस. (ई.एन.टी.) की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने दिल्ली में प्रेक्टिस आरंभ की। कुछ ही वर्षों में वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की पूर्वी दिल्ली शाखा के महासचिव और अध्यक्ष चुने गए। आगे चलकर वह दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सचिव और अध्यक्ष भी बने। पाँच बार भारी मतों से विजयी होकर दिल्ली विधानसभा के लिए चुने गए और स्वास्थ्य, शिक्षा एवं विधि मंत्री बने (1993-98)।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उन्होंने पोलियो उन्मूलन हेतु अति वैज्ञानिक ढंग से एक जन-अभियान शुरू किया। यही जन-अभियान एक नई पद्धति का प्रवर्तक बना और आगे चलकर पूरे देश के लिए आदर्श बना। सन् 2014 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन का पोलियो मुक्त भारत का प्रमाण-पत्र प्राप्त किया। वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार रहे; साथ ही स्वास्थ्य और चिकित्सा जगत् के विभिन्न अग्रणी संगठनों से भी जुड़े हैं। उनके योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। डॉ. हर्ष वर्धन को प्राप्त पुरस्कारों में कुछ प्रमुख हैं—विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक का अंतरराष्ट्रीय अवार्ड, रोटरी फाउंडेशन का पोलियो उन्मूलन चैंपियन अवार्ड, लायंस इंटरनेशनल का अंतरराष्ट्रीय सेवा सम्मान, दो बार रोटरी इंटरनेशनल की पॉल हैरिस फैलोशिप, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का सर्वोच्च स्पेशल एप्रीसिएशन अवार्ड (दो बार), रोटरी क्लब का एक्सीलेंस अवार्ड, वर्ल्ड एन्वायरमेंट कांग्रेस का नेशनल एन्वायरमेंट सर्विस ऑनर। वह चिकित्सा समुदाय, समाजसेवी संगठनों और विभिन्न सरकारों द्वारा भी सम्मानित किए जा चुके हैं।
डॉ. हर्ष वर्धन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व भारतीय जनता पार्टी, दिल्ली प्रदेश के चार बार अध्यक्ष रहे। वर्तमान में वह दिल्ली के चाँदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार लोकसभा सांसद हैं। पूर्व में केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री रहे; वर्तमान में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री हैं।