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"कौन कहता है, आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता!
भारतीय राजनेता, कैबिनेट मंत्री, पूर्व टेलीविजन अभिनेत्री और अब एक लेखिका भी—स्मृति इरानी—ने 23 मई, 2019 को हिंदी की इस लोकप्रिय पंक्ति को ट्वीट किया था। उन्होंने दशकों से गांधी परिवार का गढ़ रहे उत्तर प्रदेश के अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में एक चुनावी लड़ाई में नेहरू-गांधी परिवार के वंशज राहुल गांधी को हराया था। इरानी ने 2014 में भी अमेठी से चुनाव लड़ा था, लेकिन तब असफल रही थीं। फिर भी अगले पाँच वर्षों तक वे अमेठी आती रहीं। उन्हें ऐसा करने के लिए किस बात ने प्रेरित किया? 2004 में उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के पद से इस्तीफा नहीं देने तक अनशन करने की धमकी दी थी; और 2014 में अमेठी में एक रैली में भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ने उन्हें अपनी छोटी बहन कहकर संबोधित किया था। यह परिवर्तन कब और कैसे हुआ?
एक टेलीविजन अभिनेत्री के रूप में अपनी सफलता के चरम पर होने के बावजूद उन्होंने राजनीति में कदम क्यों रखा?
उन्होंने भाजपा को क्यों चुना? उन्होंने मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में कॅरियर बनाने की कोशिश क्यों की? उनके बचपन ने उनके दृष्टिकोण और मन की भावनाओं को किस प्रकार आकार दिया? उनकी कमजोरियाँ क्या हैं? क्या है, जो उनके भीतर के रक्षातंत्र को सक्रिय करता है और वे उनसे कैसे निकलती हैं?
अमेठी की ऐतिहासिक जीत का उपयोग एक संदर्भ रूप में करते हुए यह पुस्तक मुख्य रूप से एक ऐसी महिला की कहानी को जानने का प्रयास है, जिसने अपने स्त्रीत्व का सहारा नहीं लिया बल्कि अपने शक्तित्व को, अपनी दिव्य स्त्रीऊर्जा को शक्ति के एक अदम्य स्रोत के रूप में व्यक्त किया।"