₹300
"नीब करौरी बाबा के सार को समेटने का मतलब एक ऐसे रहस्य से जूझना हे, जो पारंपरिक समझ से परे है। बाबा नीब करौरी सन् 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में लक्ष्मी नारायण शर्मा के रूप में जनमे, बाद में महाराजजी बन गए। रहस्य और दैवीय हस्तक्षेप से घिरा उनका प्रारंभिक जीवन आध्यात्मिक प्रकाश के लिए मंच तैयार करता है, जिसका प्रभाव पीढ़ियों तक रहेगा।
हिमालय की गोद में बसा कैंची धाम एक मरुघान के रूप में उभरा, जहाँ विविध पृष्ठभूमि के साधक आध्यात्मिक पोषण की खोज में एकत्र हुए। यहाँ के मनोरम वातावरण में एक अलग ही प्रकार की अप्रतिम अनुभूति होती है और किसी दिव्य आध्यात्मिक चेतना से हर भक्त अपने कष्ट भूलकर बाबा की प्रत्यक्ष उपस्थिति अनुभव कर पाता है। यह पुस्तक आश्रम का एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है।
मंदिर के दैनिक अनुष्ठान, सत्संग और आध्यात्मिक अभ्यास तथा महाराजजी की शिक्षाएँ इसे मानव जीवन को सार्थकता प्रदान करने का केंद्र बनाते हैं । सुरुचिपूर्ण वर्णनों और उपाख्यानों के माध्यम से पाठकों को कैंची धाम के हृदय तक ले जाया गया है, जहाँ दिव्य वचन गूँजते रहते हैं । करोड़ों भक्तों की आस्था के केंद्रबिंदु केंची धाम के बाबा नीब करौरी की आध्यात्मिक चेतनायुक्त प्रेरक व प्रामाणिक जीवनगाथा, जिसके अध्ययन से जीवनपथ आलोकित होगा और कष्ट कम होंगे।"
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।