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1971 के भारत-पाक युद्ध एवं बांग्लादेश के नाम से नए राष्ट्र के निर्माण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की छवि को एक नया शिखर प्रदान किया था। एक ऐसा शिखर, जहाँ पहुँचकर, संतुलन बनाए रखना आसान नहीं होता। ये वे दिन थे, जब सरकारी तंत्र एवं सत्ता तंत्र भ्रष्टाचार के मामले में निरंकुश हो चुका था। सामान्य जनों का धैर्य जवाब देने लगा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री उन दिनों भ्रष्टाचार की संरक्षक समझी जा रही थीं। वह अपने संगठन में फैले भीतरी असंतोष को भी कुचल रही थीं और प्रतिपक्षी आवाजों की भी घोर उपेक्षा कर रही थीं।
इसके विरुद्ध संघर्ष में सर्वोदय समाज व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कुछ पुराने निष्ठावान एवं गांधीवादी कांग्रेसियों और समाजवादियों की भूमिका विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण रही। अपने समर्पित नेताओं व कार्यकर्ताओं के बल पर संघ ने देश भर में भूमिगत आंदोलन, जन-जागरण एवं अहिंसक सत्याग्रह की जो इबारत दर्ज की, वह ऐतिहासिक थी।
उस समय की सरकार के खिलाफ समाज में गंभीर वैचारिक आक्रोश जाग्रत् करने और बाद में चुनाव की सारी व्यवस्था सँभालने में भी संघ के स्वयंसेवकों ने प्रमुख भूमिका निभाई। इस सारे घटनाक्रम में कई ऐसे गुमनाम कार्यकर्ताओं को अपने जीवन तक गँवाने पड़े। उनके अमूल्य बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। यह शुभ्र ज्योत्स्ना उन सब हुतात्माओं को विनम्र श्रद्धासुमन अर्पित करती है। आपातकाल के काले दिनों का सिलसिलेवार देखा-भोगा जीवंत सच है यह पुस्तक।
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अध्याय-१ | |
आपातकाल की इबारत—१ | जत्थे के जत्थे जेल में आने लगे—110 |
अध्याय-2 | हाथों में कीलें ठोकी—११6 |
मीडिया का परिदृश्य—२६ | पकाई ईंट कच्ची नहीं निकली—१20 |
अध्याय -3 | गणतंत्रात्मक प्रणाली पर कुठाराघात —१24 |
हरियाणा में समानांतर प्रचार व्यवस्था—३५ | मीडिया का अद्भुत जज्बा —१२7 |
अध्याय-४ | हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती—१२9 |
शुभ्र ज्योत्स्ना की प्रथम किरणें—४७ | अध्याय-७ |
अध्याय-५ | सिंहासन खाली करो कि जनता आती है—१30 |
आपातकाल के महानायक | कई बार मरने से जीना बुरा है—१32 |
लोकनायक जयप्रकाश नारायण—५१ | स्वाभिमान से वही जियेगा—१३7 |
नानाजी देशमुख—५८ | मुनादी—१40 |
मोरारजी देसाई—६१ | साये में धूप—१44 |
अटल बिहारी वाजपेयी—६3 | हाथी और आदमी—१51 |
लालकृष्ण आडवाणी—६5 | अध्याय-८ |
मधुकर दात्रेय ‘बालासाहब’ देवरस—70 | लड़कर लोकतंत्र को वापस लाया—१५6 |
जार्ज फर्नांडिज—७2 | यह वही इंदिरा गांधी हैं—१60 |
चंद्र शेखर—७4 | संघ बना आंदोलन की रीढ़ —१62 |
डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी—७8 | आपातकाल को तरुणाई की चुनौती —१६9 |
रामनाथ गोयनका—८3 | अंबाला की जेलों में मतवाले—१७5 |
पीलू मोदी—८7 | ‘चेतना’ के सच का संघर्ष—१७9 |
अशोक मेहता—८9 | किस रज से बनते कर्मवीर!—१82 |
प्रोफे सर समर गुहा—९1 | आपातकाल—हम और संघ—१84 |
सिकंदर बत—९3 | अध्याय-९ |
बीजू पटनायक—९5 | महवपूर्ण पत्रावली—१८7 |
मधु दंडवते—९७ | अध्याय- 10 |
माधवराव मूले—९9 | हरियाणा में संघर्ष की गाथा—२०8 |
चौधरी देवीलाल—101 | अध्याय- 1१ |
डॉ. मंगल सैन—104 | संघर्ष की कहानी—अपनी जुबानी—२६9 |
प्रकाश सिंह बादल—१०8 | अध्याय- 12 |
अध्याय-६ | निष्कर्ष—३23 |
संघर्ष नायकों से रू-ब-रू— | सुनवाइयाँ ठप्प सी हो गई थीं—३२5 |
सुभाष आहूजा
जन्म : 10 मार्च, 1954 को रोहतक में।
शिक्षा : एम.कॉम., सी.ए.आई.आई.बी.।
कार्यक्षेत्र : संघ प्रचारक (1977 से 1980 तक), पूर्व सहायक महाप्रबंधक पंजाब नेशनल बैंक/आपातकाल के सत्याग्रही, जेल यात्रा।
संप्रति : संघ के हरियाणा प्रांत-संपर्क प्रमुख।
संपर्क : 958/24, जगदीश कॉलोनी, रामनगर, रोहतक (हरि.)।
डॉ. चंद्र त्रिखा
जन्म : 9 जुलाई, 1945 को पाकपटन (अब पाकिस्तान में)।
शिक्षा : एम.ए., साहित्य रत्न, पी-एच.डी.।
कार्यक्षेत्र : 1964 से अब तक (2017) विभिन्न दैनिक समाचार-पत्रों में संपादन कार्य एवं पत्रकारिता।
प्रकाशित कृतियाँ : 22 कृतियाँ।
संप्रति : संपादक, डेली युगमार्ग, डैमोक्रेटिक वर्ल्ड।
संपर्क : 473, सेक्टर 32-ए, चंडीगढ़।
दूरभाष : 9417004423।
डॉ. अशोक गर्ग
जन्म : 19 अक्तूबर, 1952 को कैथल (हरियाणा) में।
शिक्षा : एम.बी.बी.एस., एम.डी़ (मेडिसिन)।
कार्यक्षेत्र : आपातकाल में प्रचारक जीवन, जेल यात्रा, संघ कार्य।
कृति : ‘तानाशाही में जूझता हरियाणा’ पुस्तक में लेखन कार्य।
संप्रति : नर्सिंग होग आरोग्य सदन, पिहोवा रोड, कैथल।
दूरभाष : 09812029343