₹300
याद रखें, सफलता पाने के लिए अमीरी-गरीबी, ऊँच-नीच, जाति-धर्म आदि कोई मायने नहीं रखते। हाशिए पर खड़ा एक सबसे गरीब आदमी भी बड़ी आसानी से वांछित सफलता हासिल कर सकता है और वहीं पहुँच सकता है, जहाँ एक अमीर आदमी बहुत कुछ करके भी इससे वंचित रह जाए।
दरअसल, सफलता एक सरल-सहज, समर्पित जीवन-पद्धति द्वारा सहज ही अर्जित की जा सकती है।
प्रस्तुत पुस्तक में बिना पैसे खर्च किए सफलता पाने के सहज, अनुभूत और कारगर तरीके बताए गए हैं। हर व्यक्ति इन सरल तरीकों को जीवन में उतारकर न केवल गारंटीड सफलता पा सकता है वरन् अपने समाज, देश और दुनिया के लिए एक मिसाल भी बन सकता है।
सफलता के उत्कर्ष को पाने की एक व्यावहारिक पुस्तक, जो आपका संपूर्ण विकास कर जीवन के नए अध्याय लिखेगी।
____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________
अनुक्रम
पुस्तक परिचय —Pgs. 5
1. सफलता को बनाएँ आदत —Pgs. 9
2. बेहतर लक्ष्योन्मुख आदतें —Pgs. 17
3. बेहतर पारस्परिक जुड़ाव की आदतें —Pgs. 19
4. बेहतर पेशेवर आदतें —Pgs. 23
5. बेहतर संगठनात्मक आदतें —Pgs. 26
6. आध्यात्मिकता की सबसे अच्छी आदतें —Pgs. 30
7. स्थायी सफलता प्राप्ति के रहस्य —Pgs. 35
8. उत्पादक बनना —Pgs. 39
9. उपलब्धि के लिए आधार-ग्राह्यता —Pgs. 44
10. लक्ष्य-निर्धारण और व्यक्तित्व-निर्माण —Pgs. 60
11. सफल जीवन के लक्ष्यपरक सिद्धांत —Pgs. 73
12. सफल वित्तीय प्रबंधन —Pgs. 80
13. सफलता के रहस्य —Pgs. 84
14. दबाव-मुक्त सफल जीवन —Pgs. 90
15. सफलता बनाम सफल जीवन —Pgs. 93
16. धन के बिना सफलता —Pgs. 96
17. आलोचना से डरना मना —Pgs. 99
18. कमजोरियों को सफलता में बदलना —Pgs. 101
19. सफलता : भाग्य से आगे का खेल —Pgs. 103
20. सबसे अच्छा समाधान —Pgs. 111
21. सफलता के आपके मायने —Pgs. 130
22. प्रेरणा सफलता की कुंजी —Pgs. 140
23. बेहतर स्वास्थ्य-कल्याण की आदतें —Pgs. 153
24. सफलता के अमोघ सूत्र —Pgs. 155
25. सफल जीवन की जिम्मेदारी —Pgs. 159
हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक महेश दत्त शर्मा का लेखन कार्य सन् 1983 में आरंभ हुआ, जब वे हाईस्कूल में अध्ययनरत थे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी से 1989 में हिंदी में स्नातकोत्तर। उसके बाद कुछ वर्षों तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए संवाददाता, संपादक और प्रतिनिधि के रूप में कार्य। लिखी व संपादित दो सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाश्य। भारत की अनेक प्रमुख हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में तीन हजार से अधिक विविध रचनाएँ प्रकाश्य।
हिंदी लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त, प्रमुख हैं—मध्य प्रदेश विधानसभा का गांधी दर्शन पुरस्कार (द्वितीय), पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलाँग (मेघालय) द्वारा डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार, समग्र लेखन एवं साहित्यधर्मिता हेतु डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, नटराज कला संस्थान, झाँसी द्वारा लेखन के क्षेत्र में ‘बुंदेलखंड युवा पुरस्कार’, समाचार व फीचर सेवा, अंतर्धारा, दिल्ली द्वारा लेखक रत्न पुरस्कार इत्यादि।
संप्रति : स्वतंत्र लेखक-पत्रकार।