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मेरे भाई-बहन पलकें बिछाकर मेरा स्वागत कर रहे थे। मेरे रामेश्वरम पहुँचने पर आस-पड़ोस के सभी लोग ऐसे प्रसन्न हो रहे थे मानो मैं पूरे रामेश्वरम का बेटा हूँ। वैसे, सच तो यह है कि मैं पूरे रामेश्वरम का बेटा था भी।
‘‘अरे कलाम, तू आ गया?’’
‘‘हाँ चाची, कल शाम ही आया।’’
‘‘तेरी पढ़ाई-लिखाई कैसी चल रही है, बेटा?’’
‘‘बहुत अच्छी।’’ मैंने हँसते हुए जवाब दिया। ऐसे ही अनेक प्यार भरे सवाल और आत्मीय बातें मेरे धनुषकोटि के लोग मुझसे रोक-रोककर कर रहे थे।
‘‘बेटा, तुम कमजोर हो गए हो। अपने खाने-पीने का ध्यान रखा करो।’’
‘‘न तो! कमजोर कहाँ हुआ हूँ, चच्चा! पहले जैसा ही तो हूँ। थोड़ा लंबा हो गया हूँ, इसलिए आपको कमजोर लग रहा होऊँगा।’’ मैंने हँसकर कहा।
‘‘बड़े भाई की दुकान पर जा रहे हो?’’
‘‘जी।’’
मेरे बड़े भाई मुस्तफा कलाम रेलवे स्टेशन रोड पर परचून की एक दुकान चलाते थे। मैं जब भी घर लौटता तो वे अकसर मुझे अपनी दुकान पर बुला लेते और कुछ देर के लिए दुकान मेरे जिम्मे छोड़ देते।
—इसी पुस्तक से
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भविष्यद्रष्टा, राष्ट्रसेवी, युगप्रवर्तक, प्रेरणापुरुष, युवाओं के लिए अनुकरणीय व्यक्तित्व भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन अत्यंत रोचक एवं पठनीय उपन्यास के रूप में, जो हर पाठक के लिए अनुपम धरोहर है।
डॉ. रश्मि
जन्म : 18 जनवरी, 1974 कानपुर (उत्तर प्रदेश)।
शिक्षा : पी-एच.डी. (कबीर काव्य का भाषा शास्त्रीय अध्ययन)।
प्रकाशित पुस्तकें : ‘और आगे बढ़ते रहो’, ‘रामकृष्ण परमहंस के 101 प्रेरक प्रसंग’, ‘व्हाट्सअप रिश्ते-नातों की कहानियाँ’, ‘अशोक चक्र विजेता’, ‘भारत रत्न से सम्मानित व्यक्तित्व’, ‘कलाम की आत्मकथा’, ‘मीराबाई’, ‘कलाम, तुम लौट आओ’ एवं ‘अटल जीवनगाथा’।
कृतित्व : विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में लेख, कविताएँ, कहानियाँ एवं पुस्तक-समीक्षाएँ प्रकाशित। दूरदर्शन, अन्य चैनलों एवं आकाशवाणी पर प्रस्तुति। दिल्ली एवं देश के अन्य शहरों में मंच पर काव्य-प्रस्तुति।
सम्मान : डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल अवार्ड, राजीव गांधी एक्सीलेंस अवार्ड, आगमन सम्मान एवं डॉ. विवेकी राय सम्मान प्राप्त।
संप्रति : लेखन व अध्यापन।
संपर्क : 9971711337
rashmi.author@gmail.com