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Kalidas Chintan   

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Author Rajshekhar Vyas , Pt. Suryanarayan Vyas
Features
  • ISBN : 9789387980600
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Rajshekhar Vyas , Pt. Suryanarayan Vyas
  • 9789387980600
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 240
  • Hard Cover

Description

संसार के सर्वश्रेष्ठ नाटककार और विश्वकवि कालिदास की असाधारण प्रतिभा का लोहा पाश्चात्य विद्वानों ने भी माना। सर विलियम जोंस हों या गेटे या फिर शेक्सपीयर ही क्यों न हों, सब कालिदास की लेखनी के अनन्य प्रशंसक थे। उन भारतीय राजनेताओं और तथाकथित पंडितों को क्या कहें, जो पाश्चात्य मत से प्रभावित होकर कालिदास को केवल संस्कृत साहित्य तक ही सीमित रखते हैं। सारे संसार में कालिदास के नाम को पुनर्जीवन देनेवाले महान् विद्वान् पं. सूर्यनारायण व्यास ने आधुनिक भारत के सांस्कृतिक रंगमंच की आधारशिला रख उज्जयिनी में अखिल भारतीय कालिदास समारोह वर्ष 1928 में आरंभ किया। कालिदास साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान्, कालिदास अकादेमी के संस्थापक पं. व्यास की रससिद्ध लेखनी से निःसृत कालिदास के काल, जन्म, कला, रस और अन्य पक्षों पर उनके निबंधों का यह संग्रह गागर में सागर है। कालिदास और विक्रम, भास और भर्तृहरि, भवभूति और भरत, वात्स्यायन और कालिदास पर अद्भुत शोधपूर्ण दृष्टि—जिन विषयों पर विश्व के विद्वानों में अब चर्चा हो रही है, मसलन कालिदास के पूर्ववर्ती, कालिदास के समकालीन और बाद के काल के कवियों पर एक विलक्षण विद्वान् की ओजस्वी कलम से, विश्वकवि कालिदास पर प्रस्तुत  है अनुपम कृति—‘कालिदास चिंतन’। कालिदास और विक्रम पर उनकी अन्यान्य रचनाओं के चयन, संयोजन, संपादन और प्रकाशन के लिए प्राणपण से संलग्न महान् पिता के सुयोग्य सुपुत्र श्री राजशेखर व्यास के विलक्षण संपादन और मार्मिक लेखों से युक्त कृति ‘कालिदास चिंतन’ आपको मुग्ध किए बिना नहीं रहेगी।    

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अनुक्रम

उपोद्घात —Pgs. 7

आकलन —Pgs. 17

सूर्य-स्मरण —Pgs. 27

1. विश्ववंद्य कवि कालिदास —Pgs. 35

2. कालिदास पर नवीन दृष्टि —Pgs. 57

3. कालिदास और विक्रम पर एक विचार —Pgs. 66

4. कालिदास के काल पर नवीन प्रकाश —Pgs. 69

5. कालिदास के समय पर व्यापक विचार —Pgs. 73

6. नाट्यशास्त्र-निर्माता भरत और कालिदास —Pgs. 85

7. मालवभूमि के दो आचार्य : कालिदास और वात्स्यायन —Pgs. 92

8. भोज और कालिदास —Pgs. 101

9. उर्वशी कालिदास की! —Pgs. 103

10. शुंगकालीन अग्निमित्र मालविका —Pgs. 106

11. कालिदास के पार्थिवों पर परिस्थिति का प्रभाव —Pgs. 110

12. कालिदास के ‘अष्टमूर्ति’ प्रत्यक्ष-शिव —Pgs. 116

13. शुंगकालीन परिस्थिति का कालिदास के पात्रों पर प्रभाव —Pgs. 123

14. शाकुंतल की कुछ समस्याएँ —Pgs. 130

15. अभिज्ञान शाकुंतल का नायक दुष्यंत —Pgs. 133

16. भीटा से प्राप्त मृणमुद्रा और कालिदास —Pgs. 142

17. महाकवि कालिदास की रचनाओं की सचित्र प्रतियाँ —Pgs. 146

18. महाकवि के काव्य-नाटक —Pgs. 150

19. ‘रघुवंशम्’ की मौलिकता —Pgs. 154

20. कालिदास की अलका —Pgs. 161

21. कालिदास और कल्पवृक्ष  —Pgs. 169

22. मंदाक्रांता मेघदूतम् —Pgs. 173

23. संसार भर में दूत-काव्य और कालिदास —Pgs. 177

24. कालिदास की समाधि —Pgs. 181

25. कालिदास का दशार्ण —Pgs. 185

26. कहाँ जन्मे थे कालिदास? —Pgs. 190

27. कालिदास की जन्मभूमि उज्जयिनी —Pgs. 192

28. कालिदास : राष्ट्र और संस्कृति के महान् प्रतिनिधि —Pgs. 203

29. कालिदास परिषद् का जन्म, विकास और प्रवृत्तियाँ —Pgs. 207

30. यह सरकारी साहित्यानुराग और संवेदना! —Pgs. 215

31. कालिदास समारोह : स्वर्णिम अतीत —Pgs. 219

32. पुण्यश्लोक प्रियदर्शी पंडित सूर्यनारायण व्यास  —Pgs. 230

33. व्यासजी : अनेक मुखड़े, सभी उज्ज्वल —Pgs. 233

The Author

Rajshekhar Vyas

चर्चित लेखक, संपादक, विख्यात निर्माता-निदेशक, केवल 12 वर्ष की वय में पितृविहीन हो चले ‘यायावर’। 59 से अधिक क्रांतिकारी ग्रंथ, 4000 से ज्यादा लेख देश-विदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित, 200 से ज्यादा वृत्तचित्र, कार्यक्रम, रूपक, फीचर, रिपोर्ताज टी.वी. पर प्रसारित। भारतीय दूरदर्शन में सबसे अल्पायु के आई.बी.एस. अधिकारी ‘उप-महानिदेशक’।
फ्रांस, यूरोप, मलेशिया, सिंगापुर, अमेरिका की यात्रा। फ्रांस सरकार, संस्कृति मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय भारत से सम्मान, फेलोशिप, ए.बी.यू./ए.आइ.बी.डी. सिंगापुर एवं मलेशिया से ‘मेन ऑफ द ईयर’ सम्मान, कैंब्रिज में उप-महानिदेशक, ‘विश्‍व हिंदी सम्मेलन’, न्यूयॉर्क में सम्मान, हिंदी अकादमी, दिल्ली का ‘पत्रकारिता सम्मान’, कालचक्र के आरंभिक सहयोगी, विलक्षण वक्‍ता, कवि-समीक्षक, आलोचक। चर्चित पुस्तकें—‘मैं भगत सिंह बोल रहा हूँ’ (3 खंड), ‘मृत्युंजय भगतसिंह’, ‘इनकलाब’, ‘सुभाष कुछ अधखुले पन्ने’, ‘सरहद पार सुभाष’, ‘यादें’, ‘स्वाभिमान के सूर्य’, ‘विक्रमादित्य’, ‘विश्‍वकवि कालिदास’, ‘माँ, स्वर्णिमभारत’, ‘उग्र के सात रंग’, ‘क्रांतिकारी कहानियाँ’, ‘आँखों देखा अमेरिका’, ‘शोकगीत’, ‘एक जगह उग्र’, ‘अतुल्य भारत’।

Pt. Suryanarayan Vyas

भगवान् श्रीकृष्ण व बलराम के विद्यागुरु  महर्षि  संदीपनि  वंशोत्पन्न 
पं. सूर्यनारायण व्यास (जन्म 2 मार्च, 1902) संस्कृत, ज्योतिष, इतिहास, साहित्य, व पुरातत्त्व के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान् थे। उज्जयिनी के विक्रम विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय कालिदास समारोह, विक्रम कीर्तिमंदिर, सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान और कालिदास अकादेमी के संस्थापक पं. व्यास ‘विक्रम’ मासिक के भी वर्षों संचालक-संपादक रहे। 
राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी. लिट्. और साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा ‘साहित्य वाचस्पति’ की उपाधि से विभूषित, अनेक भाषाओं के मर्मज्ञ पं. व्यास पचास से अधिक ग्रंथों के लेखक-संपादक थे। वे जितने प्रखर चिंतक व मनीषी थे, उतने ही कर्मठ क्रांतिकारी भी। राष्ट्रीय आंदोलन में उन्होंने जेल-यातनाएँ सहीं और नजरबंद भी रहे। स्वतंत्रता उपरांत राष्ट्र से उन्होंने किसी प्रकार की कोई पेंशन या ताम्रपत्र भी नहीं स्वीकार किया। 
अंग्रेजी को अनंतकाल तक जारी रखने के विधेयक के विरोध में उन्होंने 1958 में प्राप्त अपना पद्मभूषण भी 1967 में लौटा दिया था। इतिहास, पुरातत्त्व, साहित्य, संस्कृति, संस्मरण, कला, व्यंग्य विधा हो या यात्रा-साहित्य, उनके ग्रंथ—विक्रम स्मृति ग्रंथ, सागर-प्रवास, वसीयतनामा, यादें, विश्वकवि कालिदास मानक ग्रंथ माने जाते हैं। अनेक राजा-महाराजाओं, राजनेताओं, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से तथा देश-विदेश में सम्मानित पं. व्यास 22 जून, 1976 को स्वर्गारोहण कर गए।

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