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संभल गाँव का निवासी और फौज में सूबेदार बिंदेश्वरनाथ त्रिवेदी, प्रथम विश्व-युद्ध के लिए यूरोप जाता है लेकिन युद्ध खत्म होने पर भी घर नहीं लौटता। इस बीच उसके बेटे रमानाथ को संभल का एक रहस्यमयी व्यक्ति मिलता है जो रमानाथ के लापता पिता के बारे में सब जानता है। वह रमानाथ को यूरोप में फैली स्पैनिश फीवर नामक महामारी और उसका वायरस तैयार करने वाले के बारे में भी बताता है! इस घटना के सौ वर्ष बाद, सन् 2020 में म्यूविड-20 नामक एक नई महामारी फैलती है, तो वही रहस्यमयी व्यक्ति फिर प्रकट होता है। इस बार उसकी मुलाकात रमानाथ के पोते गौरव त्रिवेदी से होती है। गौरव को जब उस व्यक्ति की असलियत का पता लगता है तो उसके होश उड़ जाते हैं!
कौन है संभल का वह रहस्यमयी व्यक्ति? त्रिवेदी परिवार से उसका क्या संबंध है? क्या स्पैनिश फीवर और म्यूविड-20 महामारियाँ सिर्फ संयोग हैं? या 100 साल के भीतर मानव-समाज पर आई इन दो भयानक विपदाओं के पीछे कोई अज्ञात शक्ति है? क्या भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि का जन्म हो चुका है? यदि हाँ, तो कल्कि, आधुनिक समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं?
यह पुस्तक, कल्कि और कलियुग के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है। इसमें आशुतोष ने जहाँ अपनी परिपक्व कलम से विश्व-इतिहास, उच्च जीवन-दर्शन और पौराणिक पृष्ठभूमि के जीवंत चित्र खींचे हैं, वहीं अत्रि ने अपनी जबर्दस्त कल्पना-शक्ति से साइंस फिक्शन का रोमांचक और अनूठा संसार रचा है।
जन्म : 2003, दिल्ली।
अत्रि, दिल्ली के ऑक्सफोर्ड सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र हैं। मात्र 7 वर्ष की उम्र में ‘सौ बाल कविताएँ’ नाम से पुस्तक प्रकाशित होने के बाद अत्रि का नाम India Book of Records में ‘Young Poem Writer’ श्रेणी में दर्ज हो चुका है। कल्कि पर यह पुस्तक लिखकर अत्रि, सबसे कम उम्र के हिंदी साइंस फिक्शन राइटर बन गए हैं।
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आशुतोष गर्ग
जन्म : 1973, दिल्ली। हिंदी में एम.ए., पत्रकारिता एवं अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा तथा एम.बी.ए. कर चुके आशुतोष ने पिछले बीस वर्षों में पौराणिक लेखन व अनुवाद के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। ‘अश्वत्थामा’ और ‘इंद्र’ नाम के बेस्टसेलर उपन्यासों के अलावा आशुतोष ने 23 पुस्तकों का अनुवाद किया है। फिलहाल, रेल मंत्रालय में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत हैं।
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