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इस पुस्तक की असली हकदार तारावती की किसी ने हत्या कर दी। उसका हत्यारा पकड़ा भी नहीं गया। जब यह बात मुझे पता चली तो कई रातों तक मैं सो नहीं पाई। आज भी इस पुस्तक पर कार्य करते-करते मुझे तारावती की मीठी और अपने ही अंदाज में कहानी कहती आवाज बार-बार सुनाई पड़ती है।
तारावती को ढेरों कहानियाँ याद थीं। एक यात्रा के दौरान रात में वह कथाएँ सुना रही थी और मैं अपने फोन में उन्हें रिकॉर्ड करती जा रही थी। यह बात शायद तारा को क्या, तब मुझे भी पता नहीं थी कि मैं इन्हें प्रकाशित करवाऊँगी; परंतु तारावती के गुजरने के बाद मेरे लिए इन कहानियों को प्रकाशित करवाना बेहद महत्त्वपूर्ण हो गया, क्योंकि मुझे लग रहा है कि शायद वह इन कथाओं में ही थोड़ी जीवित रह जाएगी।
वह जितनी अच्छी कथावाचक थी, उतनी ही अच्छी गायिका भी। वह ढोलक पर गीत भी खूब गाती थी।
यह पुस्तक तारावती को ही समर्पित है।
डॉ. रेखा द्विवेदी
जन्म : अटवा अली मर्दनपुर, हरदोई (उत्तर प्रदेश)।
शोधकार्य ‘जैनेंद्र के कथा-साहित्य में नारी पात्र’ (प्रकाशित), गुवाहाटी यूनिवर्सिटी।
कृतित्व : लैक्चरर (राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर), डायरेक्टर (नेशनल फाउंडेशन फॉर कम्यूनल हार्मोनी), शिक्षिका (पाइन माउंट, शिलांग) रहीं।
प्रकाशन : बारह पुस्तकें एवं छह इ-बुक्स; ‘जागती आँखों से सपने’ (कविताएँ) एवं ‘हिरण्यगर्भा’; ‘यह खबरें नहीं छपतीं’ (कहानियाँ)।
रेडियो कार्यक्रमों में सहभागिता तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ एवं कविताएँ प्रकाशित।
संप्रति : आई.एल.एस.सी., हिंदी शिक्षणरत।