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डॉ. आत्माराम ने सैन्य उपयोग हेतु ‘ऑप्टिकल काँच’ का निर्माण करके यह दिखा दिया कि भारतीय वैज्ञानिकों में प्रतिभा की कमी नहीं है। सामान्य ग्रामीण परिवार में जन्म लेकर अपनी कुशाग्र बुद्धि के बल पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिक रसायन के जनक डॉ. नीलरत्न धर के निर्देशन में उन्होंने उच्च स्तरीय शोध डिग्री, डी.एस-सी. प्राप्त की और कलकत्ता जाकर ग्लास एंड सेरैमिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक बने। आगे चलकर वे देश की सर्वोच्च वैज्ञानिक अनुसंधान संस्था सी.एस.आई.आर. के निदेशक बने।
डॉ. आत्माराम ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के आदर्श व्यक्ति थे। उनकी सत्यनिष्ठा, कर्तव्य परायणता तथा सरलता बेजोड़ थी। वे एक तरह से गांधीवादी वैज्ञानिक थे। वे हिंदी के पुजारी थे। ‘वैल्थ ऑफ इंडिया’ का हिंदी अनुवाद उपलब्ध करानी की उनकी दूरदृष्टि के कारण ही कई खंडों वाले अंग्रेजी ग्रंथ का हिंदी संस्करण ‘भारत की संपदा’ का प्रकाशन उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
डॉ. आत्माराम अणुव्रत महासमिति द्वारा ‘अणुव्रत सम्मान’ प्रदान किया गया था। वे आर्यसमाजी थे तथा प्रयागराज स्थित शताधिक वर्षों पुरानी संस्था ‘विज्ञान परिषद्’ के उन्नायकों में से थे। उनका परिचय उनके तमाम व्याख्यानों से प्रकट होता है, जो इस पुस्तक में संगृहीत है।
विज्ञान में अभिरुचि रखनेवाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए पठनीय पुस्तक।
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अनुक्रम
प्राक्कथन —Pgs. 5
जीवनी-खंड
1. ग्रामीण परिवेश —Pgs. 11
2. शिक्षा-दीक्षा —Pgs. 13
3. उच्च शिक्षा —Pgs. 15
4. शोध-कार्य —Pgs. 17
5. विवाह —Pgs. 20
6. डॉ. धर के साथ —Pgs. 24
7. डॉ. आत्माराम का डॉ. साहा से संपर्क —Pgs. 27
8. इलाहाबाद में डॉ. आत्माराम का अन्यों से संपर्क —Pgs. 30
9. नौकरी की तलाश तथा लक्ष्य की पूर्ति —Pgs. 35
10. वैज्ञानिक क्षेत्र में पदार्पण —Pgs. 37
11. काँच सेरैमिक अनुसंधान संस्थान —Pgs. 40
12. विदेश यात्रा —Pgs. 44
13. सी.एस.आई.आर. के महानिदेशक के रूप में —Pgs. 49
14. अवकाश प्राप्ति के बाद —Pgs. 51
15. डॉ. आत्माराम और सामयिक राजनीतिक संबंध —Pgs. 53
16. अलविदा —Pgs. 57
17. सम्मान और उपलब्धियाँ —Pgs. 59
18. मूल्यांकन —Pgs. 60
व्यक्तित्व-खंड
व्यक्तित्व —Pgs. 65-74
कृतित्व-खंड
1. भारत में कॉँच उद्योग —Pgs. 77
2. सिरैमिक उद्योग —Pgs. 87
3. प्रकाशीय काँच की भूमिका —Pgs. 96
4. भारत में विज्ञान —Pgs. 123
5. भारत में संप्रयुक्त विज्ञान —Pgs. 138
6. भारत में विज्ञान के कुछ पक्ष —Pgs. 145
7. उद्योग में अनुसंधान एवं विकास —Pgs. 147
8. वैज्ञानिक जनमत की आवश्यकता —Pgs. 154
9. विज्ञान नीति —Pgs. 161
10. जन समुदाय के लिए विज्ञान —Pgs. 169
11. वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ —Pgs. 175
12. भारत में शिक्षा —Pgs. 182
बिंदु-बिंदु विचार —Pgs. 198
उपसंहार —Pgs. 205
संदर्भ ग्रंथ —Pgs. 208
डॉ. शिवगोपाल मिश्र
जन्म : 13 सितंबर, 1931 को।
शिक्षा : एम.एससी., डी.फिल., साहित्यरत्न, एफ.एन.ए.एससी.।
प्रकाशन : लोकप्रिय वैज्ञानिक साहित्य के रूप में हिंदी में 26 तथा अंग्रेजी में 11 पुस्तकों सहित 5 पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित; 3 मानक वैज्ञानिक पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कार्य। वैज्ञानिक पुस्तकों के अतिरिक्त 9 हिंदी साहित्यिक पुस्तकों की रचना। अब तक 1500 से अधिक लोकप्रिय वैज्ञानिक लेख, 300 से अधिक मृदा विज्ञान विषयक शोधपत्र देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।
संपादन : ‘विज्ञान’ मासिक पत्रिका का बारह वर्षों तक संपादन के अतिरिक्त सन् 1958 से ही ‘विज्ञान परिषद् अनुसंधान पत्रिका’ के प्रबंध संपादक। ‘भारत की संपदा’ तथा ‘आविष्कार’, नई दिल्ली, ‘रसायन समीक्षा’, जयपुर, ‘विज्ञान गरिमा सिंधु’, नई दिल्ली आदि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के संपादन-मंडल के सदस्य के रूप में भी सक्रिय योगदान।
प्रशासनिक अनुभव : विशेष कार्याधिकारी, भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली (1970-72); निदेशक, शीलाधर मृदा विज्ञान शोध संस्थान, इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1986-91) तथा प्रधानमंत्री, विज्ञान परिषद्, प्रयाग (1977-87)। संप्रतिः 1996 से पुनः विज्ञान परिषद्, प्रयाग के प्रधानमंत्री। अनेक विज्ञान समितियों के वरिष्ठ सदस्य।
सम्मान/पुरस्कार : ‘हरिशरणानंद पुरस्कार’ (1961), ‘विज्ञान सरस्वती’ (1978), ‘डॉ. आत्माराम पुरस्कार’ (1993), ‘विज्ञान भूषण’ (1996), ‘विज्ञान भास्कर’ (1997), ‘विज्ञान मार्तंड’, (1997), ‘अभिषेकश्री’ (2000), इंडियन साइंस राइटर्स एसोसिएशन की मानद फेलोशिप (2000), ‘राष्ट्रीय हिंदी सेवा सहस्राब्दि सम्मान’ (2000)।