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Kanya Tatha Anya Kahaniyan   

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Author Shailesh Matiyani
Features
  • ISBN : 818826640X
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shailesh Matiyani
  • 818826640X
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 192
  • Hard Cover

Description

शैलेश मटियानी हिंदी के शीर्षस्थ कहानीकार थे। यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वे प्रेमचंद के बाद के सबसे बड़े जनकथाकार थे। उन्हें ‘कथा-पुरुष’ भी कहा जाता है। भारतीय कथा साहित्य की जनवादी जातीय परंपरा से शैलेश मटियानी के कथा साहित्य का अटूट रिश्ता है। वे दबे-कुचले, भूखे-नंगों, दलितों-उपेक्षितों के व्यापक संसार को बड़ी आत्मीयता से अपनी कहानियों में पनाह देते हैं। उपेक्षित और बेसहारा लोग ही मटियानी की कहानी की ताकत हैं। दलित वर्ग से ही वे शक्ति पाते हैं और उस शक्ति का उपयोग वे उन्हीं की आवाज बुलंद करने के लिए करते हैं। उनके दलितों में नारी प्रमुख रूप से शामिल है। दलित जीवन का व्यापक और विशाल अनुभव और उनकी जिजीविषा एवं संघर्ष को बेधक कहानी में ढाल देने की सिद्धहस्तता ही मटियानी को कहानी के शिखर पर पहुँचाती है। मटियानी की कहानियों से गुजरना भूखे-नंगे, बेसहारा और दबे-कुचले लोगों की करुण कराह, भूख और मौत के आर्तनाद के बीच से गुजरना है। प्रस्तुत कथा संग्रह में शैलेश मटियानी की चुनी हुई सोलह कहानियाँ संगृहीत हैं। ये वे कहानियाँ हैं, जिन्हें मटियानीजी अपनी सर्वश्रेष्ठ कहानियों में स्थान देते हैं। ये कहानियाँ कारुणिक हैं, मार्मिक हैं, हृदयस्पर्शी हैं—जो पाठकों के अंतर्मन को छू जाएँगी।

The Author

Shailesh Matiyani

जन्म : 14 अक्‍तूबर, 1931 को अल्मोड़ा जनपद के बाड़ेछीना गाँव में।
शिक्षा : हाई स्कूल तक।
शैलेश मटियानी का अभिव्‍यक्‍त‌ि-क्षेत्र बहुत विशाल है। वे प्रबुद्ध हैं, अत: लोक चेतना के अप्रतिम शिल्पी हैं। श्रेष्‍ठ कथाकार के रूप में उन्होंने ख्याति अर्जित की ही, निबंध और संस्मरण की विधा में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। कृतित्व : तीस कहानी-संग्रह इकतीस उपन्यास तथा नौ अपूर्ण उपन्यास, तीन संस्मरण पुस्तकें, निबंधात्मक एवं वैचारिक विष्‍ियों पर बारह पुस्तकें, लोककथा सा‌‌ह‌ित्य पर दस पुस्तकें, बाल साहित्य की पंद्रह पुस्तकें। ‘विकल्प’ एवं ‘जनपक्ष’ पत्रिकाओं का संपादन।
पुरस्कार एवं सम्मान : प्रथम उपन्यास ‘बोरीवली से बोरीबंदर तक’ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कृत; ‘महाभोज’ कहानी पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान का ‘प्रेमचंद पुरस्कार’; सन् 1977 में उत्तर प्रदेश शासन की ओर से पुरस्कृत; 1983 में ‘फणीश्‍वरनाथ ‘रेणु’ पुरस्कार’ (बिहार); उत्तर प्रदेश सरकार का ‘संस्‍थागत सम्मान’ ; 1994 में कुमायूँ विश्‍‍वव‌ि‍द्यालय द्वारा ‘डी.लिट.’ की मानद उपाधि; 1999 में उ.प्र. हिंदी संस्‍थान द्वारा ‘लो‌ह‌िया सम्मान’; 2000 में केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा ‘राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’।
महाप्रयाण : 24 अप्रैल, 2001 को ‌द‌िल्ली में।

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