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Kar Vijay Har Shikhar   

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Author Premlata Agrawal
Features
  • ISBN : 9789351865735
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Premlata Agrawal
  • 9789351865735
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2018
  • 176
  • Hard Cover
  • 250 Grams

Description

‘कर विजय हर शिखर’ पुस्तक हर आयु वर्ग के पाठक के लिए एक प्रेरक है। क्योंकि यह केवल आत्मकथा नहीं है, बल्कि एक आम घरेलू महिला के शिखर तक पहुँचने का एक बहुत ही अद्भुत व रोमांचकारी सफर है। पुस्तक में कई ऐसी छोटी-छोटी घटनाओं का भी जिक्र है, जो काफी महत्त्व रखती हैं। यह पुस्तक सिलिगुड़ी की एक आम लड़की प्रेमलता के पद्मश्री प्रेमलता अग्रवाल बनने की कहानी है। पुस्तक में प्रेमलता अग्रवाल के बचपन के कई ऐसे प्रसंगों को बहुत खूबसूरती से पिरोया गया है, जो कहीं-न-कहीं प्रेमलता के भीतर की इच्छा, जिज्ञासा, आत्मविश्वास, एकाग्रता, ईमानदारी, अपने कर्तव्य का दृढता से पालन करने की इच्छाशक्ति, सबको साथ लेकर चलने की भावना 
आदि कई ऐसे गुणों की ओर संकेत करती है, जिन्होंने प्रेमलता अग्रवाल को एक आम से खास महिला बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुस्तक यह भी बताती है कि यदि जीवन में सच्चा गुरु मिल जाए तो जीवन ही बदल जाता है।

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अनुक्रम

संदेश — Pgs. 5-9

भूमिका—एक साधारण गृहिणी की असाधारण उपलब्धियाँ — Pgs. 11

टाटा स्टील मेरे अविभावक — Pgs. 15

1. आरंभ — Pgs. 19

2. विवाह की तैयारी और परिवार की जिम्मेदारी — Pgs. 26

3. जिंदगी का टर्निंग पॉइंट — Pgs. 31

4. नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग — Pgs. 38

5. बेसिक कोर्स और एडवांस कोर्स — Pgs. 50

6. एवरेस्ट की चढ़ाई से पहले किए गए अभियान — Pgs. 55

7. माउंट एवरेस्ट — Pgs. 66

8. माउंट एवरेस्ट की विजय के बाद क्या — Pgs. 99

9. सेवन सम्मिट — Pgs. 103

किलीमंजारो अभियान (29 जून, 2008 में फतह किया)  — Pgs. 103

अकांकागुआ अभियान (10 फरवरी, 2012 में फतह किया) — Pgs. 108

एल्ब्रस अभियान (13 अगस्त, 2012 में फतह किया) — Pgs. 116

क्रांसटेज पिरामिड (22 अक्तूबर, 2012 में फतह किया) — Pgs. 121

माउंट विनसन मैसिफ (4 जनवरी, 2013 में फतह किया) — Pgs. 130

माउंट मैकिन्ले (23 मई, 2013 में फतह किया) — Pgs. 137

10. डेनाली के लिए किया गया प्रथम प्रयास  — Pgs. 153

11. मेरी गुरु बचेंद्री पाल — Pgs. 156

12. क्यों जरूरी है पर्वतारोहण — Pgs. 159

13. मेरी यात्राएँ शाकाहारी जीवन और मेरा योग — Pgs. 162

14. पद्मश्री — Pgs. 166

15. बाबूजी — Pgs. 169

16. पर्वतारोही और पर्यावरण — Pgs. 171

17. मेरे दूसरे प्रायोजक — Pgs. 173

18. मेरे गाइड — Pgs. 175

The Author

Premlata Agrawal

प्रेमलता अग्रवाल का जन्म वर्ष 1963 में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ। नौ भाई-बहनों में वे तीसरे नंबर पर हैं।

सातों महाद्वीपों के शिखर पर चढ़नेवाली प्रेमलता पहली भारतीय महिला हैं। प्रेमलता ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की, उसके बाद उनका विवाह विमल कुमार के साथ हो गया और एक साधारण गृहिणी की तरह वह अपनी दोनों बेटियों की परवरिश में लग गईं। एक दिन प्रेमलता अग्रवाल की मुलाकात जानी-मानी पर्वतारोही बचेंद्री पाल से हुई और इस मुलाकात ने प्रेमलता की जिंदगी की दिशा ही बदल दी। बचेंद्रीजी को प्रेमलता में काफी संभावनाएँ नजर आईं और उन्होंने प्रेमलता को पर्वतारोहण के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। उनके मार्गदर्शन में 48 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचकर एवरेस्ट को छूने वाली भारत की सबसे अधिक उम्र की पर्वतारोही बनीं। पे्रमलता की अद्भुत उपलब्धियों के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।

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