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कारगिल, 1999 पाकिस्तानी सैनिकों की पूरी-की-पूरी दो ब्रिगेड भारतीय इलाके में घुस आई और भारतीय सेना को कानो-कान खबर मिलने तक अपनी मोर्चाबंदी कर ली। भारतीय सेना के आला अफसरों ने चेतावनियों की अनदेखी की और खतरे के साथ ही घुसपैठियों की संख्या को तब तक कम बताते रहे जब तक कि बहुत देर नहीं हो गई। पैदल सैनिकों को आधे-अधूरे नक्शों, कपड़ों, हथियारों के साथ आगे धकेल दिया गया, जबकि उन्हें न तो यह जानकारी थी कि दुश्मनों की संख्या कितनी है या उनके हथियार कितनी ताकत रखते हैं! वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार, परमवीर चक्र विजेता, कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता श्री जी.एल. बत्रा के लिखे पूर्वकथन के साथ, यह कारगिल की सच्ची कहानी है। डायरी के प्रारूप में लिखी यह पुस्तक, पहली बार उन घटनाओं का सच्चा, विस्तृत तथा विशिष्ट वर्णन करती है, जिनके कारण आक्रमण किया गया; साथ ही घुसपैठियों के कब्जे से चोटियों को छुड़ाने के लिए लड़ी गई लड़ाई में भारतीय वीरों की शूरवीरता को भी रेखांकित करती है।
मातृभूमि की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति देनेवाले जाँबाज भारतीय सैनिकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है यह पुस्तक।
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अनुक्रम
प्रस्तावना —Pgs. 7
पुस्तक परिचय —Pgs. 19
लेखकीय —Pgs. 25
आभार —Pgs. 27
1. कुछ चूहे घुस आए हैं —Pgs. 31
2. बतौर राष्ट्र, हम वह कर्ज नहीं उतार सकते, जो आपने हमारे लिए किया —Pgs. 73
3. मुझे अपने बेटे पर गर्व है….वो दुश्मन से लड़ते हुए शहीद हुआ —Pgs. 105
4. यदि आप दुश्मन को और अपने आपको जानते हैं, तो आपको सैकड़ों युद्धों के परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए —Pgs. 123
5. यदि आ सकें, तो आएँ और देखें कि आपके कल के लिए भारतीय सेना कहाँ लड़ी थी —Pgs. 137
6. युद्ध समाप्त हो गया है —Pgs. 157
7. काररवाई में खुफिया जानकारी बहुत महत्त्वपूर्ण पहलू है...मौजूदा ढाँचा इसके अनुरूप नहीं है —Pgs. 169
परिशिष्ट (अ)
लेफ्टिनेंट मुहम्मद माज उल्लाह खान, 8 नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री, पाकिस्तानी सेना की पॉइंट 4812 से बरामद निजी डायरी से उद्धृत —Pgs. 181
परिशिष्ट (ब)
नियंत्रण रेखा की रूपरेखा निर्धारण पृष्ठभूमि —Pgs. 201
शब्दावली-सूची —Pgs. 204
हरिंदर बवेजा
हिंदुस्तान टाइम्स की एडिटर हरिंदर बवेजा की ख्याति एक निडर और कर्मठ रिपोर्टर की रही है। कश्मीर संकट को कवर करने के अनुभव का ही परिणाम था कि वह अनेक स्रोतों तक पहुँच सकीं—विशेष रूप से सेना की उन टुकड़ियों तक जिन्हें कारगिल भेजा गया था। उन्होंने 26/11 मुंबई अटैक्ड' के अध्यायों का संपादन और लेखन भी किया है।