डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जुलाई 2002 में जब भारत के राष्ट्रपति बने तो एक राजनीतिज्ञ न होने के कारण आम लोगों में शंका थी कि क्या वे सफल राष्ट्रपति बन पाएँगे? क्या वे विशाल भारत राष्ट्र के प्रथम नागरिक के पद के दायित्व का सफल निर्वहन कर पाएँगे? भारत के मिसाइल मैन के रूप में विख्यात देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित डॉ. कलाम ने अपने राष्ट्रपतित्व काल में ऐसे तमाम कयासों पर पूर्णविराम लगा दिया। उन्होंने अपनी सौम्यता और संवेदनशीलता से सब पर जादू सा कर दिया। एक उन्नत-समर्थ-विकसित भारत के निर्माण के लिए उन्होंने भारत की युवाशक्ति को प्रेरित किया और राष्ट्रकार्य में सकारात्मक योगदान देने के लिए उनका आह्वान किया, जिसने देश का वातावरण ही बदल दिया। भले ही राष्ट्रपति के रूप में डॉ. कलाम का कार्यकाल समाप्त हो गया हो, उनके बारे में जानने की जिज्ञासा सबके मन में लगातार रहती है। डॉ. कलाम के इसी जादुई व्यक्तित्व, सम्मोहन और करिश्मे को पाँच साल उनके सचिव रहे पी.एम. नायर ने प्रस्तुत किया है ‘करिश्माई कलाम’ में।
जन्म केरल में 18 अक्तूबर, 1944 को हुआ। सन् 1966 में तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी महाविद्यालय में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर करने के बाद सन् 1967 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में उनका चयन हुआ। उन्हें संघीय क्षेत्रीय कैडर, जो बाद में अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और संघ क्षेत्रीय राज्य (ए.जी.एम.यू.टी.) कैडर के नाम से जाना गया, आवंटित किया गया। वे अन्य प्रदेशों के साथ ही अरुणाचल प्रदेश और पांडिचेरी के मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत रहे। वे रक्षा उत्पाद एवं आपूर्ति विभाग, रक्षा मंत्रालय में वर्ष 2002 में सचिव के रूप में कार्यरत थे, जब डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने उन्हें अपने सचिव के रूप में चुना। नायर ने जुलाई 2002 से जुलाई 2007 तक राष्ट्रपति डॉ. कलाम के सचिव के रूप में पूरे पाँच वर्ष तक कार्य किया।