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इस पुस्तक के प्रेरणा-स्रोत और लेखक को प्रोत्साहित करनेवाले जय करण जी के तीनों सुपुत्र—राजेश, मुकेश और सचिन। ये अपने पिता को गाइड और गुरु मानते हैं और उनकी सीख को अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए उन्होंने बड़े जतन से यह पुस्तक प्रकाशित करवाई। उनका लक्ष्य उनके जीवन की अच्छाइयों को आम जन तक पहुँचाना है। जय करण जी के जीवन से प्रेरणा पाकर अगर कुछ युवा उनके दिखाए रास्ते पर चल पड़ेंगे तो इस पुस्तक के लेखन का उदेसिये पूरा हो जाएगा।
मैं इस किताब को अपने पिता को समर्पित करना चाहता हूँ जो मेरे गुरू और मेरे हीरो भी थे। मैंने बचपन से उन्हें हर पल को जीते देखा। वह कहते थे कि कोई भी ब्रांड यूँ ही नहीं बन जाता है। उसके लिए वर्षों तक लगातार क्वालिटी सर्विस देनी पड़ती है और तभी कस्टमर का भरोसा जीता जाता है।
मैं चाहता हूँ कि उनकी इस जीवनी को पढऩेवाले उन सभी को प्रोत्साहन मिले जो स्टार्ट अप शुरू कर रहे हैं या अपना सफल उद्यम खड़ा चाहते हों या अपना प्रतिष्ठित ब्रांड बनाना चाहते हों।
मैंने कोशिश की है कि यह एक पुस्तक नहीं बल्कि एक जीवन को जीने की गाथा बने जिसे प्रस्तुत करने के लिए मैंने दो साल की मेहनत और देश के विभिन्न शहरों और गाँवों में दो सौ से भी ज्यादा लोगों के इंटरव्यू को आधार बनाया।
पुस्तक का सार यह है कि कैसे इस कमर्शियल दुनिया में खुश भी रहा जाए और सफलता भी पाई जाए।
—सचिन हरितश