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मनुष्य के जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष है, मनुष्य स्वयं साधक है एवं जो मार्ग साधक को साध्य तक पहुँचाता है, वही योग है। कर्मयोग मनुष्य का चित्त शुद्ध करता है, उपासना योग चित्त स्थिर करता है, राजयोग एवं ज्ञानयोग ज्ञान-प्राप्ति में सहायता करता है एवं भक्तियोग, जो कि इन सभी योगों का आधार है, इन योगों को पूरी निष्ठा एवं समर्पण से करने की प्रेरणा देता है।
भले ही प्रत्येक योग लक्ष्य-प्राप्ति के लिए आवश्यक है और उनका अपना महत्व है, परंतु इस साधना की शुरुआत किसी भी सामान्य व्यक्ति को कर्मयोग से करनी चाहिए। इसलिए इस पुस्तक का शीर्षक ‘कर्मयोगी बनें’ रखा गया है। हम इस पुस्तक के माध्यम से अपने आध्यात्मिक सफर को कर्मयोग से प्रारंभ करें और उपासना, ज्ञान व भक्तियोग को अपनी यात्रा में समाहित करते हुए अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर हों।
प्रस्तुत पुस्तक वेदांत दर्शन पर केंद्रित है। इसको सामान्य बोलचाल की भाषा में लिखा गया है, साथ ही कई क्लिष्ट विषयों को आसानी से समझाने के लिए चित्रों का उपयोग किया गया है, जिससे पाठक न केवल इन योगों को समझ सकें बल्कि अपने जीवन में भी उतार सकें।
डॉ. विक्रांत सिंह तोमर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य शिक्षाविद्, लेखक, प्रशिक्षक और प्रबंधन सलाहकार हैं। उनके अनुसंधान का क्षेत्र प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान और आधुनिक जीवन है। उन्होंने विश्व के 30 देशों के 2.8 लाख से अधिक लाभार्थियों हेतु जीवन प्रबंधन और प्राचीन वैदिक ज्ञान पर व्याख्यान दिए हैं। एक प्रशिक्षक के रूप में उन्होंने राज्य के कैबिनेट मंत्रियों, (विधानसभा सदस्यों), रक्षा, अर्धसैनिक, सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र, बहुराष्ट्रीय निगमों को प्रशिक्षण दिया है। वह ‘Rule the World as Krishna Did’ पुस्तक के लेखक हैं, जो ऑथर हाउस, यू.के. से प्रकाशित हुई है।
वे Project Self Inc. USA-Bharat, UMS INDIA, Akshara Kids Academy के निदेशक हैं। साथ ही ठ्ठद्बह्लद्गस्र Consciousness Global ÌÍæ Global Institute of United Consciousness के वैश्विक संयोजक भी हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके द्वारा European Yoga Federation, Italy एवं The Spiritual Council in Africa के बोर्ड सदस्य के रूप में सेवाएँ दी जा रही हैं।