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कर्मचारियों को सर्वश्रेष्ठ बनाएँ
किसी भी व्यवसाय की सफलता में उस संस्थान के मानव-संसाधन का बड़ा योगदान होता है। संस्थान की माला का एक मोती जैसा होता है हर कर्मचारी। कर्मचारी से अपेक्षा है कि वह अपना काम जिम्मेदारी से करे और संस्थान के काम को अपना काम समझे। मैनेजमेंट से यह अपेक्षा है कि वह हर कर्मचारी को अपना सर्वेत्तम प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करे।
कर्मचारियों को सर्वोत्तम बनाने के लिए हाथ में पताका लेकर उनका नेतृत्व कीजिए; उनमें आत्मसम्मान पैदा कीजिए; उनकी गलतियों को शालीनतापूर्वक क्षमा कीजिए; उनमें टीम भावना जगाइए; उनमें ग्राहकों के प्रति अधिक सम्मान जाग्रत् कीजिए; उनको उचित प्रशिक्षण दीजिए; उनकी क्षमता बढ़ाइए; उनकी समस्याओं को सुनकर उन्हें सुलझाने का प्रयास कीजिए; बेहतरी के लिए उनकी सोच को विकसित कीजिए—और उद्दंड व कर्तव्यच्युत कर्मचारियों को सुधारिए।
श्रेष्ठ कर्मचारी संस्थान की पूँजी हैं। इनमें अपना विश्वास निवेश कीजिए, क्योंकि यही आपकी सोच और लक्ष्य को सुपरिणाम में बदलेंगे।
सुप्रसिद्ध मैनेजमेंट गुरु और लेखक प्रमोद बत्रा के व्यापक अनुभव का सार है यह रोचक पुस्तक, जो मानव-संसाधन के गुरुमंत्र बताती है।
(एम. बी.ए., पीट्सबर्ग विश्वविद्यालय, अमेरिका), जो कानकाकू सिक्योरिटीज (अमेरिका) इंक, न्यूयॉर्क में वाइस प्रेसीडेंट के पद पर रहे। श्री विजय ने वर्ष 1986 में जापान अमेरिका इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंस होनोलूलू, हवाई से स्नातक किया।
व्यक्तित्व विकास एवं व्यवहार-प्रबंधन की पुस्तकों के सुपरिचित लेखक हैं। अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा से एम.बी.ए. करने के उपरांत वे तैंतीस वर्ष तक भारत के प्रमुख उद्योग समूह ‘एस्कॉर्ट्स’ से संबद्ध रहे और अनेक उच्च पदों पर आसीन रहे। हिंदी-अंग्रेजी में मानव-व्यवहार से संबंधित उनकी 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनकी 10 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। देश-विदेश में व्यवहार-प्रबंधन पर 1 हजार से अधिक सेमिनारों का आयोजन भी कर चुके हैं।