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कोई व्यक्ति, जो अपने घर में खूब सफाई और व्यवस्था बनाए रखता है, वह अपने कार्य-स्थल पर जाकर सबकुछ भूल क्यों जाता है? क्या इसका कारण आलस्य है? या फिर वह अपने कार्य-स्थल पर सफाई रखना पसंद ही नहीं करता? या ज्यादा काम के कारण उसे सफाई का समय ही नहीं मिल पाता? या फिर उदासीनता इसका कारण है? लेकिन क्यों? दरअसल, हम अपनी गतिविधियों—जिसमें सफाई भी शामिल है—को अपने कार्य-संपादन से जोड़कर नहीं देख पाते। इससे हम अपने आस-पास के परिवेश के प्रति उदासीन ही बने रहते हैं। आज कार्यालय संबंधी कार्य एक बोझ की तरह हो गए हैं, जिसे ढोना मजबूरी समझा जाता है। ‘कुछ भी कर लो, कोई फर्क नहीं पड़ता,’—जी हाँ, नौकरशाही वर्ग की यह एक आम धारणा बन गई है। यदि हम अपने देश को उत्कर्ष की ओर ले जाना चाहते हैं तो इस धारणा को बदलने की जरूरत है। प्रबंधन पर आधारित यह पुस्तक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री अश्विनी लोहानी के स्वयं के जीवन से जुड़ी कहानी है। पच्चीस वर्षों के सेवाकाल में विभिन्न पदों पर सफलतापूर्वक कार्य करते हुए उन्होंने जो अनुभव प्राप्त किए, उन्हें शब्दबद्ध किया है। प्रस्तुत पुस्तक में राष्ट्र-प्रेम, सिद्धांतप्रियता, देश-निष्ठा, कार्य-प्रतिबद्धता एवं दायित्व-निर्वहण की अनेक अंत:कथाएँ पढ़ने को मिलेंगी, जिनसे प्रेरणा तो मिलती ही है, मार्गदर्शन भी होता है। प्रत्येक भारतीय के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय पुस्तक।
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अनुक्रम
1. व्यवस्था का विश्लेषण करें — Pgs. 31
2. निवारण या निपटारा ही मुख्य मुद्दा है — Pgs. 38
3. कार्य को गति दें — Pgs. 58
4. न्याय और समानता की भावना — Pgs. 61
5. स्वाभिमान—आपका और मेरा — Pgs. 65
6. ईमानदारी : संदेह से परे — Pgs. 68
7. उत्साह और लगन — Pgs. 87
8. कीमत अदा करने के लिए तैयार रहें — Pgs. 90
9. पैसा बाधक नहीं — Pgs. 105
10. अपने साथियों-सहकर्मियों के प्रति लगाव रखें — Pgs. 109
11. मन और परिवेश स्वच्छ रखें — Pgs. 120
12. कड़ी मेहनत — Pgs. 124
13. उत्कृष्टता हासिल करने के लिए चुनौतियों को स्वीकार करें — Pgs. 128
14. कर्मचारी संघ — Pgs. 131
15. मीडिया की भूमिका — Pgs. 135
16. सोचें नहीं, निर्णय लें — Pgs. 137
17. पार्श्व-चिंतन — Pgs. 149
18. इंपॉसिबल (Impossible—असंभव) यानी आई-एम पॉसिबल (I-M Possible) — Pgs. 154
19. कोई अफसोस नहीं — Pgs. 159
भारतीय रेलवे यांत्रिक अभियंता सेवा के 1980 बैच के अधिकारी हैं। वर्ष 1996 में उन्हें उत्कृष्ट सेवा के लिए रेल मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया और वर्ष 1999 में पर्यटन मंत्रालय के राष्ट्रीय पुरस्कार में उनका विशेष उल्लेख किया गया। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में नई जान फूँकने और रेल हेरिटेज के महत्त्व को उजागर करने का श्रेय अश्विनी लोहानी को जाता है। वर्ष 1998 में ‘फेयरी क्वीन एक्सप्रेस’ को चलाकर उन्होंने ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज कराया। इंजीनियरिंग में चार उपाधियाँ—मेकैनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मेटालरजिकल इंजीनियरिंग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग प्राप्त करने के कारण उनका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज है। इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स इंडिया तथा इंस्टीट्यूट ऑफ लॉजिस्टिक्स एंड ट्रांस्पोर्ट के फेलो। भारतीय पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के पद पर रहते हुए उन्होंने निगम और विशेषकर अशोक होटल (नई दिल्ली) की कार्य-व्यवस्था में आमूलचूल सकारात्मक बदलाव लाने में सफलता प्राप्त की। मात्र एक वर्ष के अल्प सेवाकाल में ही उन्होंने मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। वह राष्ट्रीय पर्यटन सलाहकार समिति एवं CII की राष्ट्रीय पर्यटन समिति के सदस्य हैं। पर्यटन में सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित किए। विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनके लगभग पचास लेख, शोधपत्र, स्तंभ लेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं। प्रस्तुत पुस्तक के अतिरिक्त अंग्रेजी में ‘स्मोकिंग ब्यूटीज’ नाम से उनकी एक अन्य पुस्तक प्रकाशित है।