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प्रस्तुत उपन्यास ‘कसौटी’ में दो लघु उपन्यास हैं। पहला उपन्यास ‘कसौटी’ पति-पत्नी के प्रेम-संबंध का अनोखा उदाहरण है। इस उपन्यास के मुख्य पात्र शांतनु और पल्लवी हैं। शांतनु का पत्नी-प्रेम निरंतर प्रवहमान धारा की तरह अविरल बहता चला जाता है। पल्लवी उस धारा में स्नान करती है, परंतु उसे इसका आभास तक नहीं होता है। शांतनु का प्रेम एक ऐसे निस्स्वार्थ प्रेम की मिसाल है जो सिर्फ देना जानता है, लेना नहीं। ...दूसरे उपन्यास ‘उज्ज्वल उन्मोचन’ में प्रेम का एक अलग रूप उन्मोचित होता है। यहाँ मुख्य पात्र सुमन और सुजय दो भाई हैं। सुमन का स्नेह वर्षा की वह सुशीतल, सरस धारा है जो उसके भाई सुजय पर निरंतर बरसती रहती है। यह प्रेम कुछ आशा नहीं रखता, केवल ढाल बनकर अपने प्रियजन की रक्षा में तत्पर रहता है। लेकिन सुजय उन चरित्रों में से है जिन्हें केवल लेना आता है, देना नहीं।
ये दोनों उपन्यास मानव-मन की जटिलताओं पर प्रकाश डालते हैं। कभी-कभार जीवन में ऐसा मोड़ आ जाता है, घटनाओं की सक्रियता कुछ ऐसा चक्कर चलाती है कि एकाएक हृदय निरावरण हो जाता है और सत्य अपना स्वरूप उन्मोचित करता है।
आशापूर्णा देवी ने अपने इन दोनों उपन्यासों में इसी सत्य को बड़ी ही कुशलता और सूक्ष्मता के साथ उकेरा है। ये मार्मिक और हृदयस्पर्शी उपन्यास-द्वय अत्यंत पठनीय और रोचक हैं।
जन्म : 8 जनवरी, 1909 को कलकत्ता में ।
मृत्यु : 13 जुलाई, 1995 को ।
पारिवारिक परिस्थितियों के कारण औपचारिक शिक्षा-दीक्षा नहीं हो पाई । माँ की प्रेरणा से बचपन में ही साहित्य. के प्रति अनुराग जाग्रत् हो गया ।
प्रकाशन : उनकी साहित्यिक यात्रा तेरह वर्ष की आयु से ही प्रारंभ हो गई थी, जब उन्होंने एक बाल पत्रिका के लिए एक कविता लिखी थी । ' प्रथम प्रतिश्रुति ', ' सुवर्ण लता ' और ' बकुल कथा ' उनकी सर्वश्रेष्ठ कृतियाँ मानी गई हैं । उन्होंने विपुल संख्या में उपन्यास व कहानियों का लेखन किया है ।
पुरस्कार / सम्मान : कलकत्ता विश्व- विद्यालय से स्वर्ण पदक, प. बंगाल सरकार द्वारा ' रवींद्र पुरस्कार ' तथा भारत सरकार की ओर से ' पद्मश्री ' सम्मान प्राप्त । इसके अतिरिक्त ' ज्ञानपीठ पुरस्कार ' और कई विश्वविद्यालयों से डी.लिट. की मानद उपाधियाँ प्राप्त ।