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"गांव जहाँ अपनी सोंधी मिट॒टी की सुगंध में अनगिनत किस्से-कहानियों को समाहित किए हुए हैं, वहीं शहर की चमक-धमक के पीछे भी अनगिनत कहानियाँ हैं। गाँव और शहर की इन अनगिनत कहानियों के बीच कुछ ऐसी भी कहानियाँ हैं, जो एक ओर से गाँव को छू रही होती हैं तो दूसरी ओर से शहर की झलक भी अपने अंदर समाहित किए हुए हैं | ऐसी ही कहानियों की एक श्रृंखला है यह पुस्तक “कस्बा : शहर और गाँव के बीच पकी कुछ कहानियाँ”
'कस्बा” चौदह कहानियों का ऐसा संकलन है, जो अपने अंदर कई सारी भावनाओं को समाहित किए हुए है और जिसकी हर कहानी जानी-पहचानी व देखी-देखी सी लगती है। इन कहानियों में अनेक भाव, जेसे प्रेम, भक्ति, सरलता, आडंबर, हास्य, भय, धूर्तता, संतोष, विश्वास, साहस आदि देखने को मिलते हैं| कहीं कोई कहानी व्यंग्य के रूप में कटाक्ष करती है तो कहीं कोई कहानी धीमे से कुछ ऐसा कह जाती है, जो हम जानते हुए भी कह नहीं पाते | गाँव और शहर की कुछ खट्टी, कुछ मीठी अनुभूतियों का कहानी संकलन है 'कस्बा?"