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Kedarnath Aapda Ki Sachi Kahaniyan   

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Author Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
Features
  • ISBN : 9789350488706
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
  • 9789350488706
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2019
  • 144
  • Hard Cover
  • 200 Grams

Description

गत वर्ष उत्तराखंड के केदारनाथ सहित अन्य जगहों पर अतिवृ‌ष्‍ट‌ि के कारण आई भीषण आपदा ने उत्तराखंड की केदारघाटी को पूरी तरह तबाह कर पूरे विश्‍व को झकझोरकर रख दिया। देश-विदेश के हजारों-हजार श्रद्धालुओं को इस आपदा में अपनी जान गँवानी पड़ी। परिवार के परिवार इस आपदा के शिकार हो गए, कई परिवारों का तो एक भी सदस्य जिंदा नहीं रहा।
सिर्फ केदारनाथ ही नहीं अपितु बदरीनाथ, गंगोत्तरी, हेमकुंड साहिब सहित उत्तराखंड के अनेक स्थानों पर भारी तबाही हुई। शायद चारधाम की यात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा, जब एक साथ चारों धामों के रास्ते बुरी तरह तहस-नहस होकर महीनों तक के लिए बंद हो गए; किंतु केदारनाथ में जन और धन दोनों प्रकार की भारी क्षति हुई, जिसकी भरपाई शायद कभी भी नहीं हो पाएगी।
आपदा को आए पूरा एक वर्ष बीत गया है। जिंदगी रुकती नहीं है, इसलिए आपदा पीडि़तों ने भी किसी तरह से खुद को सँभालकर नए ढंग से जीवन की शुरुआत कर दी है। हालाँकि उन अपनों की यादें, जो इस आपदा में सदा के लिए बिछुड़ गए हैं, भुलाई नहीं जा सकती हैं।
इस आपदा में मानवीयता के कई उजले तो कई श्याम पक्ष भी सामने आए हैं। कुछ एक घटनाओं को छोड़कर मानवीयता इस आपदा के पश्‍चात् एकजुट दिखी।

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अनुक्रम

दो शब्द — Pgs. 7

1. और मैं कुछ नहीं कर सका — Pgs. 13

2. वो देख रहा है... 21

3. मुआवजा — Pgs. 28

4. अपने ही जाल में — Pgs. 34

5. पानी और पानी — Pgs. 38

6. लौट आया हूँ — Pgs. 46

7. सब उसका है... 53

8. सब एक जैसे नहीं होते — Pgs. 58

9. घर वापसी — Pgs. 72

10. जिंदगी रुकती नहीं — Pgs. 77

11. नोटिस — Pgs. 83

12. जिंदा हूँ किसी और के लिए — Pgs. 88

13. पीड़ा से भी ऊपर — Pgs. 94

14. अनजान — Pgs. 99

15. इक रिश्ता दिल का — Pgs. 103

16. तलाश अपनों की  — Pgs. 113

17. कितना खुद्दार — Pgs. 119

18. लौटकर आएगा — Pgs. 125

19. रिश्तों का भमजाल — Pgs. 130

20. झगड़े का समाधान — Pgs. 135

21. भीड़ के बीच — Pgs. 140

The Author

Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
जन्म : वर्ष 1959
स्थान : ग्राम पिनानी, जनपद पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)।
साहित्य, संस्कृति और राजनीति में समान रूप से पकड़ रखनेवाले डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की कहानी, कविता, उपन्यास, पर्यटन, तीर्थाटन, संस्मरण एवं व्यक्तित्व विकास जैसी अनेक विधाओं में अब तक पाँच दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।
उनके साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, जर्मन, नेपाली, क्रिओल, स्पेनिश आदि विदेशी भाषाओं सहित तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, बांग्ला, मराठी आदि अनेक भारतीय भाषाओं में हुआ है। साथ ही उनका साहित्य देश एवं विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा रहा है। कई विश्वविद्यालयों में उनके साहित्य पर शोध कार्य हुआ तथा हो रहा है।
उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए देश के चार राष्ट्रपतियों द्वारा राष्ट्रपति भवन में सम्मानित। विश्व के लगभग बीस देशों में भ्रमण कर उत्कृष्ट साहित्य सृजन किया। गंगा, हिमालय और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन हेतु सम्मानित।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद तथा लोकसभा की सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति के सभापति।

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