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"बीसवीं शताब्दी के अधिकांश समय में सोवियत संघ कम्युनिस्ट पार्टी और केजीबी जैसी खुफिया सेवाओं द्वारा संचालित गोपनीयता तथा उत्पीडऩ के लोहे के परदे के पीछे छिपा हुआ था, जबकि जनता केजीबी को विदेश में एक जासूसी एजेंसी के रूप में जानती थी, कुछ लोगों ने सोवियत सीमाओं के भीतर इसकी व्यापक निगरानी और असंतोष के दमन की झलक देखी।
यह पुस्तक केजीबी की हत्या टीमों, घुसपैठ की काररवाइयों, मंचित उकसावों, प्रचार और विदेशों में दोहरे एजेंटों को पकडऩे का दस्तावेजीकरण करती है, लेकिन यह सोवियत सीमा के पीछे संस्कृति, मीडिया, धर्म और दैनिक जीवन में व्यापक हस्तक्षेप को भी उजागर करती है। इसका उद्देसिये केवल ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन करना नहीं है, बल्कि एक अंदरूनी कहानी प्रस्तुत करना है, जो गुप्त अभियानों की सतही समझ से परे है। यह हर वर्गीकृत मिशन के साथ इतिहास के पाठ्यक्रम को आकार देने वाले, अँधेरे में काम करनेवाले लोगों द्वारा किए गए कार्यों, विश्वासघातों और बलिदानों की खोज है।"