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सदियों पहले से खादी हमारे देश में उत्पादित होती थी, लेकिन उसे अग्रस्थान दिलाया गांधीजी ने। समय के साथ खादी में निहित स्वदेशीपन का विचार और देश के प्रति उसका भाव फीका पड़ता गया। खादी अपनी थी, किंतु उसे अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहन की जरूरत पड़ने लगी, काफी लंबा इंतजार करना पड़ा, परंतु अब मानो यह इंतजार पूरा होता दिखाई दे रहा है। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने खादी का नए सिरे से प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया, उसी के परिणामस्वरूप आज खादी के क्षेत्र में फिर से नई ऊर्जा आई है। पिछले कुछ सालों में खादी का क्षेत्र इतना आगे बढ़ चुका है कि अब इसमें आशातीत निवेश हो रहा है और लोग बढ़- चढ़कर खादी का प्रयोग कर रहे हैं। खादी का पुनरुद्धार होता दिखाई दे रहा है। नई पीढ़ी को भी खादी की ओर आकर्षित करने में और खादी को एक फैशन स्टेटमेंट बनाने में मोदीजी ने अद्भुत पहल की है।
इस पुस्तक का उद्देश्य है सामान्यजन तक सरल भाषा में खादी के बारे में जानकारी पहुँचाना और उन्हें खादी के साथ जोड़े रखना। दरअसल, खादी एक साधारण कपड़ा नहीं वरन् स्वदेशी का प्रतीक है, देश की आत्मा से जुड़ी हुई पोशाक है। यह एक आदर्श चरित्र धारण करने की प्रेरणा देता है।खादी को भारतीय संस्कृति का नाम देना गलत नहीं होगा। अगर हम खादी की पृष्ठभूमि में जाकर देखें तो रामायण और महाभारत में भी खादी का वर्णन मिलता है।
खादी से जुड़े सभी आयामों पर अत्यंत व्यावहारिक और वस्तुस्थिति बनाने वाली एक संपूर्ण पुस्तक ।