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"खाकी इन एक्सन' पुस्तक मूल रूप से जीवन वर्तान्त एव कार्य अनुभव पर आधारित एक आई.पी.एस. अधिकारी की संस्मरणात्मक पुस्तक है। कुल बारह अध्यायों में विभक्त इस पुस्तक में जीवन के विभिन्न पड़ावों-खाकी धारण करने के उपक्रम, प्रारंभिक आधारशिला, अल्मोड़ा प्रवास, खीरी घेराबंदी प्रकरण, सुनामी वर्ष सहित केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल तथा यू.पी. पुलिस प्रमुख के रूप में घटनाओं का विवरण समाहित हैं। घटनाक्रम की प्रस्तुति रोचक है, भाषा-शैली सरल और प्रवाहमय है; एक उपन्यास का स्वरूप लिये पाठक को बाँधे रहती है। रोमांच और कौतूहल का समावेश पुस्तक को रुचिकर बनाता है; कठिन एवं विपरीत परिस्थिति में लिये गए निर्णयों से पाठक लेखक की कर्मशीलता से प्रभावित हो जाएगा।
पुस्तक का अंतिम अध्याय 'अंतिम नाद' की गूंज लिये हुए है, जो शब्दों में पुलिस-सेवा से विदाई की कथा है, परंतु इस गाथा में एक दृढ़ता है, संकल्प है, संदेश है, जो सेवा-मुक्ति में भी जीवन के उन्मुक्त भाव को उजागर करते हुए 'चरैवेति- चरैवेति' का शंखनाद करता है। जीवन-मंत्र के इस तंत्र का सार 'भगवद्गीता' के कर्म सिद्धांत से प्रेरित है और यही आदर्श जीवन का सूत्र है। यह पुस्तक अनुभव पर आधारित आख्यान से वर्तमान और भविष्य को सजाते रहने का एक व्याख्यान है, जो मार्गदर्शक है उन लाखों-करोड़ों का, जिन पर परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व को सँवारने का दायित्व है।
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