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Khandit Bharat: India Divided Book in Hindi - by First President of India Dr. Rajendra Prasad   

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Author Rajendra Prasad
Features
  • ISBN : 9789355219879
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Rajendra Prasad
  • 9789355219879
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2023
  • 498
  • Soft Cover
  • 550 Grams

Description

आधुनिक भारत के मनीषी, तत्त्वज्ञानियों और चिंतकों में देशरत्‍न राजेंद्र प्रसाद का प्रथम स्थान है। परदु:खकातरता, त्याग और सेवा- भाव उनके स्वाभाविक गुण थे। भारत की एकता और अंता बनाए रखना उनके लिए अत्यंत महत्त्व की बात थी।

सन् 1940 के लाहौर अधिवेशन में मुसलिम लीग ने जब देश के विभाजन का प्रस्ताव पारित किया तो यह गंभीर चिंता और चर्चा का विषय बन गया। अनेक प्रमुख व्यक्‍तियों ने इस पर अपने विचार एवं योजनाएँ प्रस्तुत कीं तथा अपने-अपने ढंग से इस समस्या के समाधान सुझाए। 1945 में इसी बात को ध्यान में रखकर राजेंद्र बाबू ने अंग्रेजी में पुस्तक लिखी-' इंडिया डिवाइडेड'; खंडित भारत उसी का हिंदी अनुवाद है।

पाकिस्तान की माँग से संबद्ध उस समय तक प्रकाशित प्राय: संपूर्ण साहित्य के विस्तृत अध्ययन के बाद लिखी गई इस पुस्तक की मुख्य विशेषता है कि इसमें लेखक के विचार पाठकों पर आरोपित नहीं किए गए। तथ्यों, आँकड़ों, तालिकाओं, नक्‍‍शों और ग्राफों की सहायता से भारतीय प्रायदीप के विभाजन से संबंधित संपूर्ण सामग्री उपस्थित कर देश के बँटवारे के पक्ष-विपक्ष में इस प्रकार तर्क प्रस्तुत किए गए हैं कि पाकिस्तान की व्यवहार्यता अथवा अव्यवहार्यता के विषय में पाठक स्वयं अपनी राय बना सकें।

विभाजन के समर्थकों एवं विरोधियों-दोनों के लिए ' खंडित भारत' एक आदर्श ग्रंथ माना गया। यद्यपि देश को विभाजित हुए साठ वर्ष से ऊपर बीत चुके हैं, इतिहासकारों की दृष्‍टि में आज भी यह पुस्तक महत्वपूर्ण है और प्रत्येक भारतीय के लिए पठनीय है।

The Author

Rajendra Prasad

गांधी युग के अग्रणी नेता देशरत्‍न राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सारण जिला के ग्राम जीरादेई में हुआ। आरंभिक शिक्षा जिला स्कूल छपरा तथा उच्च शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज कलकत्ता में। अत्यंत मेधावी एवं कुशाग्र-बुद्ध छात्र, एंट्रेंस से बी.ए. तक की परीक्षाओं में विश्‍वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्‍त, एम.एल. की परीक्षा में पुन: प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्‍त। 1911 में वकालत प्रारंभ, पहले कलकत्ता और फिर पटना में प्रैक्टिस।
छात्र-जीवन से ही सार्वजनिक एवं लोक-हित के कार्यों में गहरी दिलचस्पी। बिहारी छात्र सम्मेलन के संस्थापक। 1917-18 में गांधीजी के नेतृत्व में गोरों द्वारा सताए चंपारण के किसानों के लिए कार्य। 1920 में वकालत त्याग असहयोग आंदोलन में शा‌मिल। संपूर्ण जीवन राष्‍ट्र को समर्पित, कांग्रेस संगठन तथा स्वतंत्रता संग्राम के अग्रवर्ती नेता। तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष, अंतरिम सरकार में खाद्य एवं कृषी मंत्री, संविधान सभा अध्यक्ष के रूप में संविधान-निमार्ण में अहम भूमका। 1950 से 1962 तक भारतीय गणराज्य के राष्‍ट्रपति। प्रखर चिंतक, विचारक तथा उच्च कोटि के लेखक एवं वक्‍ता। देश-विदेश में अनेक उपाधियों से सम्मानित, 13 मई, 1962 को ‘भारत-रत्‍न’ से अलंकृत।
सेवा-निवृत्ति के बाद पूर्व कर्मभूमि सदाकत आश्रम, पटना में निवास। जीवन के अंतिम समय तक देश एवं लोक-सेवा के पावन व्रत में तल्लीन।
स्मृतिशेष : 28 फरवरी, 1963।

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